रांची : झारखंड के करीब 68 हजार पारा शिक्षक, बीआरपी-सीआरपी समेत अन्य
कर्मियों के मानदेय का भुगतान राज्य सरकार को अपने मद से करना पड़ सकता
है. केंद्र सरकार ने इसके लिए राशि क्रमश: घटा दी है. इससे राज्य सरकार पर
सालाना 200 करोड़ तक का बोझ बढ़ सकता है. चालू वित्तीय वर्ष के लिए स्वीकृत
906 करोड़ में केंद्र ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत अब तक 555 करोड़ ही
दिये हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में भी मानदेय मद की पूरी राशि केंद्र सरकार
ने नहीं दी थी.
871 करोड़ में से मात्र 484 करोड़ ही दिये थे. चालू वित्तीय वर्ष में
भी अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्र से अब राशि नहीं मिलेगी. केंद्र ने
तीन कोटि में बांटा आवंटन : केंद्र ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत दी
जानेवाली राशि को प्राथमिकता के आधार पर तीन कोटि में बांट दिया है. पहली व
दूसरी कोटि में बच्चों के लिए चलनेवाली योजना और शैक्षणिक क्रियाकलाप को
रखा है.
पारा शिक्षक व सर्व शिक्षा अभियान के कर्मियों के मानदेय के भुगतान
को तीसरे पायदान पर रखा है. अब केंद्र पहली दो कोटि के लिए पूरी राशि देने
की बात कह रहा है. इन मदों में 80 फीसदी राशि का भुगतान भी कर दिया है.
वहीं, मानदेय के भुगतान के लिए पैसे देने संबंधी किसी भी तरह का आश्वासन
देने से इनकार कर दिया है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग ने इस संबंध
में झारखंड शिक्षा परियोजना को पत्र भी भेजा है.
पारा शिक्षकों के मानदेय में 750 करोड़ खर्च
राज्य में पारा शिक्षकों के मानदेय पर सालाना लगभग 750 करोड़ खर्च
होता है. इसमें 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राशि राज्य सरकार देती है.
पिछले साल के तीन माह के मानदेय का भुगतान इस वित्तीय वर्ष किया गया है.
प्रभावित हो सकती हैं दूसरी योजनाएं
केंद्र सरकार बच्चों की पोशाक व पुस्तक, शिक्षकों के प्रशिक्षण,
कंप्यूटर शिक्षा, आवासीय विद्यालय खोलने, अनाथ बच्चों के लिए चलाये
जानेवाले विद्यालयों के लिए भी राशि देती है. ऐसे में अब तक इन योजनाओं का
संचालन प्रभावित हो सकता है.
वित्त को स्थिति से अवगत करायेगा जेइपीसी
झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यकारिणी परिषद की पिछले दिनों मुख्य सचिव
की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. बैठक में निर्णय लिया गया कि परियोजना
पूरे मामले से वित्त विभाग को अवगत करायेगा. राज्य सरकार पर आनेवाले
वित्तीय बोझ का आकलन किया जायेगा.
केंद्र अगर किसी कारण से मानदेय भुगतान का पूरा पैसा नहीं देता, तो
भी कर्मियों को भुगतान करना होगा. वित्त विभाग के साथ बैठक की जायेगी.
रास्ता निकाला जायेगा. केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 906 करोड़
में से अब तक 555 करोड़ दिये हैं. - एपी सिंह, प्रधान सचिव, स्कूली शिक्षा व
साक्षरता विभाग
No comments:
Post a Comment