नई दिल्ली. कोरोना (Covid19) के कारण लंबे समय से चल रहे लॉकडाउन (Lockdown) और अब अनलॉक.1 (Unlock-1) में भी स्कूलों में संस्थागत पढ़ाई पर रोक है. ऐसे में जहां यूपी, दिल्ली और हरियाणा सहित अन्य कई राज्यों में सरकारी स्कूल पूरी तरह बन्द हैं. वहीं इन राज्यों के प्राइवेट स्कूल छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं चला रहे हैं. हालांकि प्राइवेट स्कूलों की ऑनलाइन कक्षाओं के पीछे बड़ा ही दिलचस्प पहलू सामने आ रहा है.
छोटे से लेकर बड़े नामचीन प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से ट्यूशन फीस के नाम पर अप्रैल, मई और जून की बढ़ी हुई फीस वसूली कर रहे हैं. साथ ही स्कूली शिक्षकों को वेतन न देना पड़े, इसके लिए नए-नए तिकड़म अपना रहे हैं. इन सब समस्याओं को लेकर शिक्षा विभाग भी अनजान नहीं हैं. लेकिन वो कर कुछ नहीं पा रहा. लॉकडाउन के दौरान हरियाणा में अभिभावक एकता मंच (AEM), दिल्ली में दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन (DPA) और दिल्ली ऑर्गनाइजेशन ऑफ स्कूल टीचर्स एन्ड एम्प्लाईज (Doste), यूपी में तमाम अभिभावक और छात्र निजी तौर पर अपने-अपने यहां शिक्षा मंत्रालय से गुहार लगा चुके हैं.
देश और शहीदों का उदाहरण देकर प्रबंधन कर रहा इमोशनल अत्याचार
हरियाणा में पलवल के एक नामी स्कूल ने सभी टीचर्स को ऑडियो भेजकर सेलेरी न मांगने की अपील की है. इस स्कूल ने करीब पांच महीने से शिक्षकों को वेतन नहीं दिया है. ऑडियो इस प्रकार है, 'डियर टीचर्स! इस कोविड -19 की समस्या ने हमारी अर्थव्यवस्था को धराशायी कर दिया है. यह एक तरह की लड़ाई बन चुकी है. जो हमें लड़नी है. आपका अग्रणी नेता होने के नाते मेरी मजबूरी हो गई है कि मैं आपको लड़ने के लिए मैदान में लेकर चलूं. साथियों एक आजादी की लड़ाई हुई थी, जिसमें कितने देश भक्तों ने अपना खून बहाया, कितनी माता बहनों ने अपना सिंदूर दान किया. आजादी की लड़ाई के लिए हथियार प्राप्त करने के लिए कितनी औरतों ने अपने गहने तक बेच दिए थे. मैं इस बात का उदाहरण इसलिए दे रहा हूं कि हम यह सोचें कि देश को हमने क्या दिया है न कि ये कि देश ने हमें क्या दिया है. देश से प्यार करना हमारा कर्तव्य है. उस देश में हमारा समाज भी है और हमारा स्कूल भी. हम सोचते हैं कि स्कूल हमें क्या देता है? स्कूल हमें क्या देगा ? लेकिन अभी समय स्कूल से लेने का नहीं स्कूल को देने का है. जैसे आप लोग इस देश को देते हैं वैसे ही आप स्कूल को अपनी निष्ठा लगन मेहनत दें और स्कूल से आर्थिक मदद न लें. अपने कामों को आप इधर-उधर से जैसे भी हो सके चलाएं.'
निजी स्कूल प्रबंधन शिक्षकों से करा रहा फोन, पेरेंट्स पर फीस का बढ़ा रहे दबाव
स्कूल प्रबंधकों ने इस लॉकडाउन में फीस मांगने के लिए एक नया ही तरीका निकाला है. अधिकांश प्राइवेट स्कूलों ने अपने शिक्षकों को निर्देश दिए हैं कि रोजाना ऑनलाइन क्लास लेने के बाद सभी क्लास टीचर कुछ बच्चों के अभिभावकों को फोन करें और फीस भरने के लिए दबाव बनाएं. इस संबंध में यूपी और हरियाणा के कई प्राइवेट शिक्षकों ने बताया कि उन्हें कई-कई महीनों से वेतन नहीं मिला है और स्कूल प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि फीस आने के बाद ही उन्हें वेतन मिलेगा. ऐसे में वे लोग अभिभावकों से मिन्नतें करते हैं कि फीस भर दें ताकि उन्हें भी वेतन मिल सके और वे भी अपने बच्चों को इस दौर में पाल सकें.
बोले- पैसा नहीं तो पेरेंट्स दिखाएं कंपनी का लेटर
कई स्कूल दिल्ली हाईकोर्ट के ट्यूशन फीस लेने के आदेश को संलग्न कर फीस का नोटिस भेज रहे हैं लेकिन अभिभावक संघों का कहना है कि प्राइवेट स्कूल इसमें चालाकी कर रहे हैं और ट्यूशन फीस में कई अन्य मदों को भी जोड़ रहे हैं. जिससे अभिभावकों की जेब पर उतना ही वजन पड़ रहा है जितना कि पहले फीस के ब्रेकअप के साथ पड़ता था. इतना ही नहीं पैरेंट्स के पैसा न होने की बात पर कई स्कूलों ने अभिभावकों से यहां तक कह दिया है कि अगर उनकी कंपनी ने उनको पैसा नहीं दिया है तो उसका लेटर दिखाएं.
बच्चों को ऑनलाइन क्लास से आउट कर बना रहे दबाव
लॉकडाउन मैं ऑनलाइन क्लासेज चला रहे प्राइवेट स्कूल छात्रों को व्हाट्सएप्प ग्रुप से बाहर करके भी अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं. हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें फीस न भरने की बात कहने पर शिक्षकों ने बच्चों को ऑनलाइन क्लास से बाहर कर दिया.
एक अभिभावक ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया की स्कूल से फीस मांगने के लिए फोन आया. लेकिन जब उन्होंने फीस न होने की बात कही तो इस स्कूल की टीचर ने बच्चे को ऑनलाइन क्लास से ही आउट कर दिया. इसको लेकर जब टीचर को फोन किया गया और पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो उन्होंने कहा कि स्कूल प्रशासन की ओर से ऐसा आदेश है.
दिल्ली में टीचर्स-अभिभावक दोनों को लूट रहे स्कूल
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम का कहना है कि निजी स्कूलों की मनमानी से न केवल अभिभावक बल्कि शिक्षक और भी ज्यादा परेशान हैं. पेरेंट्स पर फीस देने का दबाव बनाया जा रहा है जबकि शिक्षकों को वेतन नहीं दिया जा रहा.
दिल्ली सरकार ने 18 तारीख को निर्देश दिया कि सभी पेरेंट्स स्कूलों में ट्यूशन फीस जमा कराएं लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि ट्यूशन फीस कितनी होनी चाहिए? क्योंकि दिल्ली के अधिकांश स्कूल ट्यूशन फीस के नाम पर सभी मदों को ट्यूशन फीस में जोड़कर अभिभावकों से वसूल रहे हैं. यह बहुत ही दुखद है कि सरकार से कई बार शिकायत करने के बावजूद भी किसी स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
वे कहती हैं' दिल्ली में करीब 18 सौ प्राइवेट स्कूल हैं. कई स्कूलों ने पैरेंट्स के लिए नोटिस भेजे हैं. मेरे पास स्कूलों की ओर से टीचर को भेजे गए ऐसे कई लेटर हैं जिनमें कई महीने से टीचर को सैलरी नहीं मिली है और आगे भी न मांगने के लिए कहा गया है. ऐसे में अभिभावक फीस क्यों और किसके लिए दें? '
सेलेरी नहीं तो पैरेंट्स से फीस क्यों और किसके लिए ले रहे स्कूल?
हरियाणा के अभिभावक एकता मंच के कैलाश शर्मा का कहना है कि हरियाणा में करीब 55 सौ प्राइवेट स्कूल हैं. अधिकांश स्कूलों में अभिभावक मार्च-अप्रैल तक की फीस जमा करा चुके हैं और अब स्कूल मई की फीस मांग रहे हैं. इसे लेकर मंच फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी और हरियाणा शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी शिकायत दे चुका है लेकिन एक महीना बीतने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
जहां तक शिक्षकों के वेतन की बात है तो सभी को पता है कि पहले से ही प्राइवेट स्कूल घपले करते रहे हैं. ये शिक्षकों से 30 हज़ार पर साइन करा के 15 हज़ार देते रहे हैं लेकिन इस लॉकडाउन में शिक्षकों को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा रहा है या फिर उनसे ऑनलाइन क्लासेज़ पढ़वाने के बावजूद कई महीनों से वेतन नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में ये भी सवाल है कि आखिर यह पैसा जा कहां रहा है?
स्कूलों के पास नहीं है पैसा तो सार्वजनिक क्यों नहीं करते अपना अकाउंट
दिल्ली ऑर्गनाइजेशन ऑफ स्कूल टीचर्स एन्ड एम्प्लाईज के महासचिव मनोज शर्मा का कहना है कि दिल्ली के कई स्कूलों ने कॉन्ट्रेक्ट पर लगे शिक्षकों को निकाल दिया है. कई स्कूलों ने शिक्षकों को 3-4 महीने से वेतन नहीं दिया है. कुछ ऐसे भी स्कूल हैं जो शिक्षकों के वेतन मांगने पर मजबूरी दिखाकर उन्हें स्कूल छोड़ने की सलाह दे रहे हैं. यह बहुत ही दुखद है.
स्कूलों की ओर से कहा जा रहा है कि उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिलती सिर्फ फीस से ही शिक्षकों-स्टाफ को वेतन दिया जाता है. ऐसे में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से भी आदेश दिया गया है कि सभी प्राइवेट स्कूल अपने अकाउंट का ब्यौरा सार्वजनिक करें. सवाल ये है कि जब शिक्षकों को फीस देने के लिए भी फंड नहीं है तो स्कूल जानकारी क्यों नहीं दे रहे हैं?
शिक्षक हमसे या जिले में करें शिकायत: शिक्षा मंत्री
हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने News18Hindi को बताया कि फीस को लेकर पहले ही आदेश दिए जा चुके हैं. सभी स्कूल हर महीने सिर्फ ट्यूशन फी ही ले सकते हैं इसके अलावा और कोई चार्ज नहीं वसूल सकते. प्राइवेट स्कूलों ने बताया है कि अभी तक 10 फीसदी अभिभावकों ने फीस भरी है. फिर भी मैं अपनी तरफ से बता रहा हूँ कि लॉकडाउन में 20 फीसदी ने ही फीस भरी होगी. हमने स्कूलों को कहा है कि अगर किसी अभिभावक की मजबूरी है तो उसे समझें, लेकिन अगर स्कूल बढ़ी फीस वसूल रहे हैं तो अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी के पास शिकायत करें, स्कूल पर ज़रूर कार्रवाई होगी.
अगर शिक्षकों को सैलेरी नहीं मिल रही है तो वे सिस्टम में कहीं भी शिकायत करें, मुझसे करें या डायरेक्टर को शिकायत भेजें. शिक्षक मुझसे मिलकर या फोन करके भी सैलेरी न मिलने की शिकायत कर सकते हैं. स्कूलों के खिलाफ कदम उठाया जाएगा.
छोटे से लेकर बड़े नामचीन प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से ट्यूशन फीस के नाम पर अप्रैल, मई और जून की बढ़ी हुई फीस वसूली कर रहे हैं. साथ ही स्कूली शिक्षकों को वेतन न देना पड़े, इसके लिए नए-नए तिकड़म अपना रहे हैं. इन सब समस्याओं को लेकर शिक्षा विभाग भी अनजान नहीं हैं. लेकिन वो कर कुछ नहीं पा रहा. लॉकडाउन के दौरान हरियाणा में अभिभावक एकता मंच (AEM), दिल्ली में दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन (DPA) और दिल्ली ऑर्गनाइजेशन ऑफ स्कूल टीचर्स एन्ड एम्प्लाईज (Doste), यूपी में तमाम अभिभावक और छात्र निजी तौर पर अपने-अपने यहां शिक्षा मंत्रालय से गुहार लगा चुके हैं.
देश और शहीदों का उदाहरण देकर प्रबंधन कर रहा इमोशनल अत्याचार
हरियाणा में पलवल के एक नामी स्कूल ने सभी टीचर्स को ऑडियो भेजकर सेलेरी न मांगने की अपील की है. इस स्कूल ने करीब पांच महीने से शिक्षकों को वेतन नहीं दिया है. ऑडियो इस प्रकार है, 'डियर टीचर्स! इस कोविड -19 की समस्या ने हमारी अर्थव्यवस्था को धराशायी कर दिया है. यह एक तरह की लड़ाई बन चुकी है. जो हमें लड़नी है. आपका अग्रणी नेता होने के नाते मेरी मजबूरी हो गई है कि मैं आपको लड़ने के लिए मैदान में लेकर चलूं. साथियों एक आजादी की लड़ाई हुई थी, जिसमें कितने देश भक्तों ने अपना खून बहाया, कितनी माता बहनों ने अपना सिंदूर दान किया. आजादी की लड़ाई के लिए हथियार प्राप्त करने के लिए कितनी औरतों ने अपने गहने तक बेच दिए थे. मैं इस बात का उदाहरण इसलिए दे रहा हूं कि हम यह सोचें कि देश को हमने क्या दिया है न कि ये कि देश ने हमें क्या दिया है. देश से प्यार करना हमारा कर्तव्य है. उस देश में हमारा समाज भी है और हमारा स्कूल भी. हम सोचते हैं कि स्कूल हमें क्या देता है? स्कूल हमें क्या देगा ? लेकिन अभी समय स्कूल से लेने का नहीं स्कूल को देने का है. जैसे आप लोग इस देश को देते हैं वैसे ही आप स्कूल को अपनी निष्ठा लगन मेहनत दें और स्कूल से आर्थिक मदद न लें. अपने कामों को आप इधर-उधर से जैसे भी हो सके चलाएं.'
लॉकडाउन में स्कूल बंद हैं लेकिन प्राइवेट स्कूल फ़ीस वसूली के लिए अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
निजी स्कूल प्रबंधन शिक्षकों से करा रहा फोन, पेरेंट्स पर फीस का बढ़ा रहे दबाव
स्कूल प्रबंधकों ने इस लॉकडाउन में फीस मांगने के लिए एक नया ही तरीका निकाला है. अधिकांश प्राइवेट स्कूलों ने अपने शिक्षकों को निर्देश दिए हैं कि रोजाना ऑनलाइन क्लास लेने के बाद सभी क्लास टीचर कुछ बच्चों के अभिभावकों को फोन करें और फीस भरने के लिए दबाव बनाएं. इस संबंध में यूपी और हरियाणा के कई प्राइवेट शिक्षकों ने बताया कि उन्हें कई-कई महीनों से वेतन नहीं मिला है और स्कूल प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि फीस आने के बाद ही उन्हें वेतन मिलेगा. ऐसे में वे लोग अभिभावकों से मिन्नतें करते हैं कि फीस भर दें ताकि उन्हें भी वेतन मिल सके और वे भी अपने बच्चों को इस दौर में पाल सकें.
बोले- पैसा नहीं तो पेरेंट्स दिखाएं कंपनी का लेटर
कई स्कूल दिल्ली हाईकोर्ट के ट्यूशन फीस लेने के आदेश को संलग्न कर फीस का नोटिस भेज रहे हैं लेकिन अभिभावक संघों का कहना है कि प्राइवेट स्कूल इसमें चालाकी कर रहे हैं और ट्यूशन फीस में कई अन्य मदों को भी जोड़ रहे हैं. जिससे अभिभावकों की जेब पर उतना ही वजन पड़ रहा है जितना कि पहले फीस के ब्रेकअप के साथ पड़ता था. इतना ही नहीं पैरेंट्स के पैसा न होने की बात पर कई स्कूलों ने अभिभावकों से यहां तक कह दिया है कि अगर उनकी कंपनी ने उनको पैसा नहीं दिया है तो उसका लेटर दिखाएं.
बच्चों को ऑनलाइन क्लास से आउट कर बना रहे दबाव
लॉकडाउन मैं ऑनलाइन क्लासेज चला रहे प्राइवेट स्कूल छात्रों को व्हाट्सएप्प ग्रुप से बाहर करके भी अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं. हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें फीस न भरने की बात कहने पर शिक्षकों ने बच्चों को ऑनलाइन क्लास से बाहर कर दिया.
एक अभिभावक ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया की स्कूल से फीस मांगने के लिए फोन आया. लेकिन जब उन्होंने फीस न होने की बात कही तो इस स्कूल की टीचर ने बच्चे को ऑनलाइन क्लास से ही आउट कर दिया. इसको लेकर जब टीचर को फोन किया गया और पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो उन्होंने कहा कि स्कूल प्रशासन की ओर से ऐसा आदेश है.
दिल्ली में टीचर्स-अभिभावक दोनों को लूट रहे स्कूल
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम का कहना है कि निजी स्कूलों की मनमानी से न केवल अभिभावक बल्कि शिक्षक और भी ज्यादा परेशान हैं. पेरेंट्स पर फीस देने का दबाव बनाया जा रहा है जबकि शिक्षकों को वेतन नहीं दिया जा रहा.
दिल्ली सरकार ने 18 तारीख को निर्देश दिया कि सभी पेरेंट्स स्कूलों में ट्यूशन फीस जमा कराएं लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि ट्यूशन फीस कितनी होनी चाहिए? क्योंकि दिल्ली के अधिकांश स्कूल ट्यूशन फीस के नाम पर सभी मदों को ट्यूशन फीस में जोड़कर अभिभावकों से वसूल रहे हैं. यह बहुत ही दुखद है कि सरकार से कई बार शिकायत करने के बावजूद भी किसी स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
वे कहती हैं' दिल्ली में करीब 18 सौ प्राइवेट स्कूल हैं. कई स्कूलों ने पैरेंट्स के लिए नोटिस भेजे हैं. मेरे पास स्कूलों की ओर से टीचर को भेजे गए ऐसे कई लेटर हैं जिनमें कई महीने से टीचर को सैलरी नहीं मिली है और आगे भी न मांगने के लिए कहा गया है. ऐसे में अभिभावक फीस क्यों और किसके लिए दें? '
सेलेरी नहीं तो पैरेंट्स से फीस क्यों और किसके लिए ले रहे स्कूल?
हरियाणा के अभिभावक एकता मंच के कैलाश शर्मा का कहना है कि हरियाणा में करीब 55 सौ प्राइवेट स्कूल हैं. अधिकांश स्कूलों में अभिभावक मार्च-अप्रैल तक की फीस जमा करा चुके हैं और अब स्कूल मई की फीस मांग रहे हैं. इसे लेकर मंच फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी और हरियाणा शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी शिकायत दे चुका है लेकिन एक महीना बीतने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
जहां तक शिक्षकों के वेतन की बात है तो सभी को पता है कि पहले से ही प्राइवेट स्कूल घपले करते रहे हैं. ये शिक्षकों से 30 हज़ार पर साइन करा के 15 हज़ार देते रहे हैं लेकिन इस लॉकडाउन में शिक्षकों को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा रहा है या फिर उनसे ऑनलाइन क्लासेज़ पढ़वाने के बावजूद कई महीनों से वेतन नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में ये भी सवाल है कि आखिर यह पैसा जा कहां रहा है?
स्कूलों के पास नहीं है पैसा तो सार्वजनिक क्यों नहीं करते अपना अकाउंट
दिल्ली ऑर्गनाइजेशन ऑफ स्कूल टीचर्स एन्ड एम्प्लाईज के महासचिव मनोज शर्मा का कहना है कि दिल्ली के कई स्कूलों ने कॉन्ट्रेक्ट पर लगे शिक्षकों को निकाल दिया है. कई स्कूलों ने शिक्षकों को 3-4 महीने से वेतन नहीं दिया है. कुछ ऐसे भी स्कूल हैं जो शिक्षकों के वेतन मांगने पर मजबूरी दिखाकर उन्हें स्कूल छोड़ने की सलाह दे रहे हैं. यह बहुत ही दुखद है.
स्कूलों की ओर से कहा जा रहा है कि उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिलती सिर्फ फीस से ही शिक्षकों-स्टाफ को वेतन दिया जाता है. ऐसे में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से भी आदेश दिया गया है कि सभी प्राइवेट स्कूल अपने अकाउंट का ब्यौरा सार्वजनिक करें. सवाल ये है कि जब शिक्षकों को फीस देने के लिए भी फंड नहीं है तो स्कूल जानकारी क्यों नहीं दे रहे हैं?
शिक्षक हमसे या जिले में करें शिकायत: शिक्षा मंत्री
हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने News18Hindi को बताया कि फीस को लेकर पहले ही आदेश दिए जा चुके हैं. सभी स्कूल हर महीने सिर्फ ट्यूशन फी ही ले सकते हैं इसके अलावा और कोई चार्ज नहीं वसूल सकते. प्राइवेट स्कूलों ने बताया है कि अभी तक 10 फीसदी अभिभावकों ने फीस भरी है. फिर भी मैं अपनी तरफ से बता रहा हूँ कि लॉकडाउन में 20 फीसदी ने ही फीस भरी होगी. हमने स्कूलों को कहा है कि अगर किसी अभिभावक की मजबूरी है तो उसे समझें, लेकिन अगर स्कूल बढ़ी फीस वसूल रहे हैं तो अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी के पास शिकायत करें, स्कूल पर ज़रूर कार्रवाई होगी.
अगर शिक्षकों को सैलेरी नहीं मिल रही है तो वे सिस्टम में कहीं भी शिकायत करें, मुझसे करें या डायरेक्टर को शिकायत भेजें. शिक्षक मुझसे मिलकर या फोन करके भी सैलेरी न मिलने की शिकायत कर सकते हैं. स्कूलों के खिलाफ कदम उठाया जाएगा.
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