झारखंडप्रदेश पारा शिक्षक महासंघ जामताड़ा विधानसभा स्तरीय सम्मेलन 2
दिसंबर को पुराना नगर भवन में आयोजित की जाएगी। जिसे सफल बनाने को लेकर संघ
के जिलाध्यक्ष नीलांबर मंडल लगातार पारा शिक्षकों को एकजुट करने को लेकर
तथा सम्मेलन को ऐतिहासिक रूप देने को लेकर प्रखंड का दौरा कर रहे हैं।
पारा शिक्षकों को सम्मेलन में ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लेकर सफल बनाने की अपील कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि अलग राज्य निर्माण के साथ सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े झारखंड राज्य के घर-घर तक शिक्षा की ज्योति जागृत करने हेतु राज्य के विभिन्न सरकारी मापदंडों के आधार पर पारा शिक्षकों की नियुक्ति मानदेय के आधार पर की गई। कहा कि जंगलों पहाड़ों एवं सुदूर देहाती क्षेत्रों में शिक्षा का दीप जलाने का काम पारा शिक्षकों ने किया। लेकिन काम के अनुरूप हमें कुशल मजदूर से भी कम मानदेय दिया जाता है। 7000 से 9500 तब जबकि अन्य राज्यों के पारा शिक्षकों को वेतन मान सहित स्थायीकरण कर दिया गया है। शिक्षा सरकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। लेकिन इस जिम्मेदारी में लगे स्वयं पारा शिक्षक भविष्य सुरक्षा एवं आर्थिक संकट में फंसे है। पारा शिक्षकों ने ठाना है कि वोटर नहीं वोट बैंक बनकर पारा शिक्षक सहित वर्तमान अनुबंधित कर्मी अपनी मांगों के समर्थन में सम्मेलन के जरिए सरकार को मुंहतोड़ जवाब देगी एवं अपने अधिकार को लेने के लिए सभी पारा शिक्षक को एक मंच में लाया जा रहा है। कहा कि तमाम पारा शिक्षकों को वेतनमान, सामान वेतनमान दिया जाए, टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों की सीधी शिक्षक पदों पर नियुक्ति किया जाए।
पारा शिक्षकों को सम्मेलन में ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लेकर सफल बनाने की अपील कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि अलग राज्य निर्माण के साथ सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े झारखंड राज्य के घर-घर तक शिक्षा की ज्योति जागृत करने हेतु राज्य के विभिन्न सरकारी मापदंडों के आधार पर पारा शिक्षकों की नियुक्ति मानदेय के आधार पर की गई। कहा कि जंगलों पहाड़ों एवं सुदूर देहाती क्षेत्रों में शिक्षा का दीप जलाने का काम पारा शिक्षकों ने किया। लेकिन काम के अनुरूप हमें कुशल मजदूर से भी कम मानदेय दिया जाता है। 7000 से 9500 तब जबकि अन्य राज्यों के पारा शिक्षकों को वेतन मान सहित स्थायीकरण कर दिया गया है। शिक्षा सरकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। लेकिन इस जिम्मेदारी में लगे स्वयं पारा शिक्षक भविष्य सुरक्षा एवं आर्थिक संकट में फंसे है। पारा शिक्षकों ने ठाना है कि वोटर नहीं वोट बैंक बनकर पारा शिक्षक सहित वर्तमान अनुबंधित कर्मी अपनी मांगों के समर्थन में सम्मेलन के जरिए सरकार को मुंहतोड़ जवाब देगी एवं अपने अधिकार को लेने के लिए सभी पारा शिक्षक को एक मंच में लाया जा रहा है। कहा कि तमाम पारा शिक्षकों को वेतनमान, सामान वेतनमान दिया जाए, टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों की सीधी शिक्षक पदों पर नियुक्ति किया जाए।
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