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7000 प्राथमिक शिक्षकों के अंतर जिला तबादला का मामला उलझा

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में अंतर जिला ट्रांसफर का मामला उलझ गया है। तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक मीना ठाकुर ने शिक्षक-शिक्षिकाओं से अंतर जिला ट्रांसफर के लिए आवेदन मांगा था। लेकिन विभागीय सचिव ने इस पर रोक लगी दी है।
अंतर जिला ट्रांसफर नहीं होने से इनमें से कई महिला शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ गई हंै। वहीं शिक्षक संगठन आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गये हैं। उनका कहना है कि विभागीय सचिव नियमों की अनदेखी कर मनमानी कर रहे हैं। राज्य के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में नवनियुक्त लगभग सात हजार शिक्षक अंतर जिला ट्रांसफर का इंतजार कर रहे हैं। जून में स्थानांतरण की तिथि तय की गई है, लेकिन विभाग की ओर से जिलों से स्थानांतरण किए जानेे वाले शिक्षकों की लिस्ट नहीं मांगी गई है।

यह है स्थानांतरण नियम

विभागीय अधिसूचना संख्या 339 दिनांक 16-02-2001 के द्वारा प्रावधान है कि शिक्षकों का पदस्थापन यथासंभव उनके गृह प्रखंड में सुविधानुसार किये जाएं। पति-प|ी दोनों के सरकारी सेवक होने की दशा में उनका पदस्थापन आसपास के विद्यालयों में किया जाए। माध्यमिक विद्यालय शिक्षक सेवा शर्त नियमावली 2015 में पति-प|ी के मामलों में एक दूसरे के जिले/समीप स्थान पर स्थानांतरण का प्रावधान है।

यह है मामला

शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण के लिए विभाग ने जिलों से आवेदन जमा लिया था। कई जिलों ने इसकी सूची अक्टूबर 2017 में ही प्राथमिक शिक्षा निदेशालय को भेज भी दी थी। इसके बाद भी शिक्षकों का अंतर जिला स्थानांनतरण नहीं हो सका। वर्ष 2015 में शिक्षकों की नियुक्ति जिला स्तर पर की गई थी। सभी जिलों में नियुक्ति के लिए काउंसलिंग अलग-अलग दिन की गई थी। एक अभ्यर्थी को एक से अधिक जिले में आवेदन जमा करने का अवसर दिया गया था। उस समय अगर किसी अभ्यर्थी का नाम मेरिट लिस्ट में पहले, दूसरे व बाद में गृह जिले में आया, तो उसने गृह जिले छोड़कर दूसरे जिला में योगदान दे दिया। ऐसे शिक्षक अब अपने गृह जिला में पदस्थापन का इंतजार कर रहे हैं।

स्थानांतरण नियमावली 10 माह से लंबित है

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के बिजेंद्र चौबे, राममूर्ति ठाकुर और नसीम अहमद ने कहा कि स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग द्वारा शिक्षकों के स्थानांनतरण को लेकर नियमावली बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके लिए शिक्षक संघ से सुझाव भी मांगे गये थे। परंतु अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिक्षकों के स्थानांनतरण नियमावली का मामला लगभग 10 माह से लंबित है।

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