कोडरमा : स्थायी शिक्षक के रूप में समायोजन की मांग को लेकर हड़ताल पर
चल रहे पारा शिक्षकों की हड़ताल शुक्रवार को 41वें दिन भी जारी रही. पारा
शिक्षक अपनी मांग पर अड़े हैं और राज्य सरकार द्वारा उठाये जा रहे
बरखास्तगी की कार्रवाई के कदम का कड़ा विरोध जताया है.
जिले के पारा शिक्षकों की बैठक शुक्रवार को झारखंड प्रदेश पारा शिक्षक
महासंघ के बैनर तले सीएच स्कूल मैदान में हुई. अध्यक्षता सुरेश प्रसाद
यादव व संचालन कपिलदेव सिंह ने किया. बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया
गया कि पारा शिक्षक सरकार की धमकी से डरनेवाले नहीं हैं. समायोजन के बिना
किसी भी कीमत पर विद्यालय नहीं लौटेंगे. पारा शिक्षकों ने कहा कि तकनीकि
रूप से पारा शिक्षकों का नियोक्ता ग्राम शिक्षा समिति हैं. ऐसे में सरकार
उन्हें कैसे बरखास्त कर सकती है.
वर्तमान में आरटीइ के नियमानुसार कोई भी शिक्षक अनुबंध पर बहाल नहीं
हो सकता. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट कर
दिया है. साथ ही समान काम के लिए समान वेतन देना है, तो सरकार हमारी मांग
क्यों नहीं स्वीकार कर रही है. शिक्षकों ने कहा कि चार सितंबर को हुए
समझौते को भी सरकार लागू नहीं कर रही है. बैठक में निर्णय लिया गया कि आठ
नवंबर को जिले के विभिन्न प्रखंडों का दौरा कर विद्यालयों को बंद कराया
जायेगा. नौ नवंबर को उपायुक्त आवास कोडरमा से समाहरणालय कोडरमा तक रन फॉर
टीचर्स यूनिटी कार्यक्रम व 10 नवंबर को चंदवारा में केंद्रीय मंत्री सह
सांसद जयंत सिन्हा के कार्यक्रम का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया.
मौके पर रविकांत तिवारी, सुखदेव राणा, द्वारिका यादव, विजय कुमार,
सुभाष सिंह, कामेश्वर भारती, संजय पंडित, रमेश यादव, ओम प्रकाश यादव, पप्पू
कुमार, महेश बैठा, अजीत कुमार, राजेंद्र कुमार, दीपक कुमार, सुनिता
कुमारी, पंकज सिंह, कपिलेदव सिंह मौजूद थे. इधर, पारा शिक्षकों ने चंदवारा
में प्रखंड अध्यक्ष सुखदेव राणा की अध्यक्षता में बैठक की. संचालन मनोज
कुमार ने किया. इस दौरान सरकार द्वारा बर्खास्तगी की कार्रवाई का विरोध
किया गया और समायोजन की मांग को लेकर आंदोलन को तेज करने पर विचार-विमर्श
हुआ. मौके पर महादेव दास, सुभाष सिंह, कामेश्वर भारती, अलखदेव पासवान, शंभु
यादव, वीरेंद्र यादव, खूब लाल यादव, राजकुमार राणा, मुकेश कुमार मौजूद थे.
पारा शिक्षकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई अनुचित : अन्नपूर्णा
इधर, पारा शिक्षकों के खिलाफ बरखास्तगी की कार्रवाई का पूर्व मंत्री
अन्नपूर्णा देवी ने विरोध जताया है. उन्होंने कहा है कि अपनी जायज मांगों
को लेकर हड़ताल कर रहे पारा शिक्षकों के खिलाफ बरखास्तगी जैसी दंडात्मक
कार्रवाई पूरी तरह अनुचित है. सरकार को जहां सुधार व समझौता कर रास्ता
निकालना चाहिए, वहां पर धमकी पर धमकी दी जा रही है.
यहां तक कि कई जिलों में बरखास्तगी की नोटिस जारी कर दी गयी है. सरकार
के इस रवैये से निश्चित रूप से आनेवाले समय में झारखंड की शिक्षा व्यवस्था
न्यूनतम स्तर पर पहुंच जायेगी. सरकार को अन्य राज्यों के अनुसार सुविधाएं
यहां भी पारा शिक्षकों के लिए लागू करना चाहिए. अन्नपूर्णा ने कहा कि सरकार
की इस दलील में कोई तथ्य नहीं है कि केंद्र से मानदेय बढ़ाने की स्वीकृति
नहीं मिली. यह गुमराह करने वाला बयान है.
निश्चित रूप से इसमें सरकार की इच्छाशक्ति में कमी रही. इससे पूर्व
2014 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए की सरकार के गठन के साथ हम
लोगों ने बिना किसी आंदोलन या हड़ताल के पारा शिक्षकों का मानदेय 25 प्रतिशत
तक बढ़ाया.
महिला पारा शिक्षकों को विशेष अवकाश और शिक्षक नियुक्ति में उन्हें 50
प्रतिशत आरक्षण दिया. इससे जाहिर है की यह सरकार केवल बहानेबाजी कर रही
है. सरकार के पास इन पारा शिक्षकों के कुछ बेहतर करने के लिए इच्छाशक्ति की
घोर कमी है. पारा शिक्षकों से इतने कम मानदेय पर काम लेकर गुणवत्तापूर्ण
शिक्षा का दावा करना जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा है.
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