रांची. रघुवर सरकार के समय से ही सेवा नियमितिकरण और वेतनमान की मांग कर रहे राज्य के 50 हजार से ज्यादा पारा शिक्षक (Para Teachers) एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं. विधानसभा चुनाव से पहले पारा शिक्षकों से किये गए हेमन्त सोरेन (Hemant Soren) के वादे को याद दिलाने के लिए वादा पूरा करो सरकार आंदोलन के बाद राज्यभर के पारा शिक्षक अब विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन करने पहुंचे हैं. 15 मार्च से 19 मार्च तक अलग-अलग प्रमंडल से पारा शिक्षक रांची पहुंचकर सेवा नियमितिकरण और वेतनमान की मांग को बुलंद करेंगे. आज विधानसभा के समक्ष पहुंचे पारा शिक्षकों ने मांग की कि वर्तमान बजट सत्र में ही सरकार पारा टीचरों की मांग पूरी करने की घोषणा करें.
आज गिरिडीह, रामगढ, देवघर, लोहरदगा एवं पूर्वी सिंहभूम से हजारों की संख्या में रांची पहुंचे पारा शिक्षकों ने विधानसभा मार्च किया और कुटे में बने धरनास्थल पर प्रदर्शन किया. बड़ी संख्या में आज पारा शिक्षकों ने साफ कर दिया कि अब वह हेमंत सोरेन सरकार को कोरोना के नाम पर और मोहलत देने के मूड में नहीं हैं.
आंदोलन की ये है तैयारी
15 मार्च- गिरिडीह, रामगढ, देवघर, लोहरदगा एवं पूर्वी सिंहभूम
16 मार्च- चतरा, गढवा, सिमडेगा. गोड्डा एवं पश्चिमी सिंहभूम
17मार्च- हजारीबाग, लातेहार, पाकुड़, रांची एवं खूंटी
18मार्च- पलामू, धनबाद, कोडरमा एवं सरायकेला खरसांवा
19 मार्च- गुमला, दुमका, जामताड़ा, साहेबगंज एवं बोकारो
पारा शिक्षकों के सभी संघ एकजुट होकर कर रहे आंदोलन
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा राज्य ईकाई के सभी प्रशिक्षित, अप्रशिक्षित और टेट पास शिक्षकों की सेवा नियमितिकरण करने के साथ- साथ वेतनमान की मांग को लेकर पारा शिक्षक लंबे दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव 2019 के समय झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में हेमंत सोरेन ने पारा शिक्षकों से सरकार बनने पर सेवा नियमितिकरण और वेतनमान का का वादा किया था जिसे अब सरकार बनने पर पूरा करने का दवाब पारा टीचर सरकार पर डाल रहे हैं. कल विधानसभा के समक्ष पारा टीचरों के साथ साथ सभी बीआरसी- सीआरसी में काम करने वाले अनुबंधित कर्मी भी प्रदर्शन करेंगे.
क्या कहते हैं आक्रोशित पारा शिक्षक
विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन कर रहे पारा शिक्षकों में से एक सुनीता देवी ने आक्रोश भरे लहजे में कहा कि कोरोना काल के नाम पर एक साल से ज्यादा उनलोगों ने सब्र किया, पर अब तो हेमंत सोरेन सरकार को उनकी मांगें माननी होगी. नहीं तो अब आर- पार की लड़ाई होगी. वहीं एकीकृत पारा शिक्षक संघ के संजय दुबे ने कहा कि सरकार सिर्फ आश्वासन देती है. अब उसे विधानसभा के बजट सत्र में ही बताना होगा कि वह पारा शिक्षकों के लिए जो नियमावली बनाने की बात कहती है वह क्या है और उसमें पारा शिक्षकों के हितों का कितना ख्याल रखा गया है.
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