Ranchi : राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने पर गुणवक्त युक्त शिक्षा पर सवाल लगातार उठ रहा है. शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों को शिक्षित करना एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
अधिकतर सरकारी स्कूलों में नियमित शिक्षकों से अधिक पारा शिक्षकों की संख्या है, जिनके कंधों पर ही बच्चों का भविष्य है. लेकिन वे खुद अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिससे बार-बार शिक्षा बाधित होती रही है.
झारखंड के स्कूलों में करीब 41,024 पद अब भी शिक्षकों के लिए रिक्त हैं, जहां नियुक्ति का इंतजार है. स्थिति यह है कि सूबे में पहली कक्षा से लेकर प्लस टू तक नियमित शिक्षकों की संख्या करीब 53 हजार है. जबकि पारा शिक्षकों की संख्या 61 हजार से अधिक है.
प्रारंभिक स्कूलों में नियमित शिक्षकों की संख्या 39148 है, जबकि हाई व प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की संख्या 14099 है. जबकि रिक्त पदों की संख्या पर बात की जाये तो प्रारंभिक स्कूलों में 24344 पद रिक्त हैं, जबकि स्नातक व प्लस टू शिक्षकों के लिए रिक्त पदों की संख्या 16680 है.
विधायक बिरंची नारायण ने विधानसभा में रिक्त पदों को लेकर शिक्षा मंत्री से सवाल भी उठाया. उन्होंने कहा कि इस तरह शिक्षकों के रिक्त पदों पर अब तक नियुक्ति नहीं होने से बेहतर शिक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है.
उन्होंने कहा कि सरकार को यह बताना होगा कि आधुनिक शिक्षा आखिर किस तरह से बच्चों के बीच पहुंचायेंगे. उन्होंने कहा कि जो सक्षम अभिभावक है वे प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों का नामांकन करवा रहे हैं लेकिन जो सक्षम नहीं हैं उनके लिए इसी व्यवस्था में अपने बच्चों की पढ़ाई जारी रखना मजबूरी है.
इस सवाल पर सरकार ने भी रिक्त पद खाली होने की बात मानी. जवाब में कहा गया है कि सरकार इन सारी चीजों को देख रही है. कोरोना के कारण कई चीजें बाधित हुई हैं.
मालूम हो कि प्रारंभिक स्कूलों में कुल 63490 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 40 प्रतिशत पद रिक्त हैं. जबकि स्नातक व प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों के कुल पद 30779 हैं, जिसमें से 55 प्रतिशत पद रिक्त हैं.
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