चतरा : वेतन नहीं मिलने से नाराज शिक्षक विनोद मिस्त्री ने शुक्रवार को
दोपहर के 12 बजे स्थानीय डीएसई कार्यालय में जहर खा लिया। जहर खाने से उसकी
स्थिति गंभीर हो गई है। सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उसे रिम्स
भेज दिया गया है। जगदीश मिस्त्री का पुत्र विनोद मिस्त्री कोडरमा जिला के
कटैयाटांड गांव के खाखरटोला का रहनेवाला है।
जानकारी के अनुसार, जिले के 104 शिक्षकों की जिला प्रशासन ने सेवा समाप्त कर दी थी। दरअसल, वर्ष 2015-16 में इन शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में हुई थी। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा नियुक्ति के बाद सभी जिलों में जांच करने का आदेश दिया गया था। ये सभी शिक्षक पारा शिक्षक से स्थायी हुए थे। सभी शिक्षक लगभग एक से डेढ़ वर्ष विद्यालय में पठन-पाठन का काम किए थे। इन शिक्षकों की नियुक्ति गैर पारा कोटि में कर दी गई थी। प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति नियमावली में पारा शिक्षकों के लिए 50 प्रतिशत पद आरक्षित किया गया था। पारा शिक्षकों को अपनी कोटि में ही आवेदन करना था। इसके बाद भी कुछ पारा शिक्षकों ने पारा शिक्षक के लिए आरक्षित पद के साथ-साथ गैर पारा कोटि में भी आवेदन कर दिया था। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा नियुक्ति के बाद सभी जिलों में फिर से जांच का आदेश दिया गया था। जांच में इस बात का खुलासा हुआ था कि पारा शिक्षकों को गैर पारा कोटि में नियुक्त कर दिया गया है। वैसे पारा शिक्षक जिनकी नियुक्ति मेधा अंक होने के बाद भी गैर पारा कोटि में नहीं हुई, वे भी नियुक्ति की मांग करने लगे। इसके बाद गैर पारा कोटि में नियुक्त हुए पारा शिक्षकों की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया गया था। जिला शिक्षा स्थापना समिति के निर्णय के अनुरूप उनकी सेवा समाप्त कर दी गई थी। बाद में बर्खास्त शिक्षकों ने हाई कोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट के डबल बेंच ने उनकी बर्खास्तगी को रद करते हुए दस अगस्त तक योगदान लेने का निर्देश डीएसई को दिया था। साथ ही चार सप्ताह के भीतर वेतन शुरू करने का भी आदेश दिया था। हाई कोर्ट के निर्देश के आलोक में डीएसई ने 29 सितंबर को उन्हें अपने कार्यालय में योगदान कराया। योगदान देने के बाद उनका पदस्थापन स्कूलों में नहीं किया। सभी शिक्षक प्रतिदिन डीएसई कार्यालय में अपनी उपस्थिति बना रहे हैं। उनका वेतन अब तक शुरू नहीं किया गया है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। शिक्षक वेतन की मांग को लेकर कई बार डीएसई से भेंट की। उनका कहना है कि जब तक स्कूलों में उनका पदस्थापन नहीं होगा, तब तक वेतन नहीं मिल सकता है। शिक्षक दिगंबर प्रसाद, विनोद कुमार, प्रमोद कुमार एवं एनके मंडल आदि ने सदर अस्पताल में बताया कि विनोद मिस्त्री अपने साथ जहर की शीशी ले आए थे। हाजिरी बनाने के बाद डीएसई से मिलने का प्रयास किया। लेकिन वे कार्यालय में नहीं थे। उसके बाद जहर की शीशी निकाली और कार्यालय में ही उसे पी लिया। जब दूसरे शिक्षकों को इसकी जानकारी हुई, तो उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। वेतन नहीं मिलने से इन शिक्षकों में काफी रोष है।
जानकारी के अनुसार, जिले के 104 शिक्षकों की जिला प्रशासन ने सेवा समाप्त कर दी थी। दरअसल, वर्ष 2015-16 में इन शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में हुई थी। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा नियुक्ति के बाद सभी जिलों में जांच करने का आदेश दिया गया था। ये सभी शिक्षक पारा शिक्षक से स्थायी हुए थे। सभी शिक्षक लगभग एक से डेढ़ वर्ष विद्यालय में पठन-पाठन का काम किए थे। इन शिक्षकों की नियुक्ति गैर पारा कोटि में कर दी गई थी। प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति नियमावली में पारा शिक्षकों के लिए 50 प्रतिशत पद आरक्षित किया गया था। पारा शिक्षकों को अपनी कोटि में ही आवेदन करना था। इसके बाद भी कुछ पारा शिक्षकों ने पारा शिक्षक के लिए आरक्षित पद के साथ-साथ गैर पारा कोटि में भी आवेदन कर दिया था। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा नियुक्ति के बाद सभी जिलों में फिर से जांच का आदेश दिया गया था। जांच में इस बात का खुलासा हुआ था कि पारा शिक्षकों को गैर पारा कोटि में नियुक्त कर दिया गया है। वैसे पारा शिक्षक जिनकी नियुक्ति मेधा अंक होने के बाद भी गैर पारा कोटि में नहीं हुई, वे भी नियुक्ति की मांग करने लगे। इसके बाद गैर पारा कोटि में नियुक्त हुए पारा शिक्षकों की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया गया था। जिला शिक्षा स्थापना समिति के निर्णय के अनुरूप उनकी सेवा समाप्त कर दी गई थी। बाद में बर्खास्त शिक्षकों ने हाई कोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट के डबल बेंच ने उनकी बर्खास्तगी को रद करते हुए दस अगस्त तक योगदान लेने का निर्देश डीएसई को दिया था। साथ ही चार सप्ताह के भीतर वेतन शुरू करने का भी आदेश दिया था। हाई कोर्ट के निर्देश के आलोक में डीएसई ने 29 सितंबर को उन्हें अपने कार्यालय में योगदान कराया। योगदान देने के बाद उनका पदस्थापन स्कूलों में नहीं किया। सभी शिक्षक प्रतिदिन डीएसई कार्यालय में अपनी उपस्थिति बना रहे हैं। उनका वेतन अब तक शुरू नहीं किया गया है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। शिक्षक वेतन की मांग को लेकर कई बार डीएसई से भेंट की। उनका कहना है कि जब तक स्कूलों में उनका पदस्थापन नहीं होगा, तब तक वेतन नहीं मिल सकता है। शिक्षक दिगंबर प्रसाद, विनोद कुमार, प्रमोद कुमार एवं एनके मंडल आदि ने सदर अस्पताल में बताया कि विनोद मिस्त्री अपने साथ जहर की शीशी ले आए थे। हाजिरी बनाने के बाद डीएसई से मिलने का प्रयास किया। लेकिन वे कार्यालय में नहीं थे। उसके बाद जहर की शीशी निकाली और कार्यालय में ही उसे पी लिया। जब दूसरे शिक्षकों को इसकी जानकारी हुई, तो उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। वेतन नहीं मिलने से इन शिक्षकों में काफी रोष है।
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