रामगढ़ : एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में गुरुवार को
पारा शिक्षकों ने प्रखंड मुख्यालय के बीआरसी भवन के सामने धरना दिया। बाद
में राज्यपाल के नाम एक मांग पत्र प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सुशीला
मुर्मू को सौंपा।
इससे पहले पारा शिक्षकों ने रामगढ़ बाजार तक रैली निकाली। कहा कि सरकार की कार्रवाई से पारा शिक्षक डरने वाले नहीं है। यह आरपार की लड़ाई है। इस दौरान झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्ष संघ के जिलाध्यक्ष रसिक बास्की व प्रखंड सचिव दिलीप कुमार झा ने भी पारा शिक्षकों के आंदोलन का समर्थन किया। रसिक बास्की ने कहा कि राज्य सरकार पारा शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है। सरकार को पारा शिक्षकों के हित में कोई न कोई फैसला अवश्य लेनी चाहिए। पारा शिक्षक लगातार आंदोलन कर रहे है। लोकतंत्र में आंदोलन करना सभी का अधिकार है। लेकिन सरकार पारा शिक्षकों के लिए जरा भी ¨चतित नहीं दिख रही है। योगेंद्र प्रसाद साह ने कहा कि इस बार पारा शिक्षक आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं। पारा शिक्षकों को समाज के सभी लोगों का समर्थन मिल रहा है। जब तक सरकार पारा शिक्षकों के हित में कोई फैसला नहीं लेती है। पारा शिक्षक हड़ताल पर बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि सौंपे गये मांग पत्र में पारा शिक्षकों को छतीसगढ़ के तर्ज पर स्थायीकरण एवं वेतनमान देना, जेल गये पारा शिक्षकों को बिना शर्त रिहा करने तथा बर्खास्त किये गये पारा शिक्षकों को पुन: सेवा में वापस लाने की मांग की गई है। इस दौरान उप संयोजक बिहारी हांसदा, धनश्याम प्रसाद साह, बजरंग मांझी, महेंद्र राय, अमीरलाल कुंवर, लाल बिहारी राय समेत अन्य पारा शिक्षक मौजूद थे।
शिक्षकों को गुंडा कह कर रघुवर ने किया अपमानित
शिकारीपाड़ा : एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले बरमसिया बीआरसी भवन के सामने पारा शिक्षकों ने एक दिवसीय धरना दिया। प्रखंड सचिव मो. खलील अंसारी ने कहा कि सरकार ने पारा शिक्षकों को योगदान करने के लिए 20 नवंबर का अल्टीमेटम दिया परंतु सरकार के आदेश को नकारते हुए पारा शिक्षकों ने योगदान नहीं किया। जिला समिति के सदस्य अब्दुल रकीब ने कहा कि रघुवर दास ने शिक्षकों को गुंडा कहकर संबोधित किया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। मौके पर मधुसूदन साह, मतिन अंसारी, मुकुल गोरांई, रफीक आलम, मनोवर जमाल, सुशील किस्कू, अलविना हांसदा, ज्योति किस्कू, सुनिता हांसदा, पार्थो दास, शब्बीर अंसारी, गौतम ¨सह निराना, कुमुद वरण राय, सुसांत मुखर्जी, वीणपानी पाल, दिलीप कुमार ¨सह, लखन मुर्मू, मंटु हांसदा, एमेली मरांडी, इनामुदीन अंसारी, मोनिका ब्रहन भट्टाचार्य, अख्तर अंसारी, एनुल मियां आदि थे।
इससे पहले पारा शिक्षकों ने रामगढ़ बाजार तक रैली निकाली। कहा कि सरकार की कार्रवाई से पारा शिक्षक डरने वाले नहीं है। यह आरपार की लड़ाई है। इस दौरान झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्ष संघ के जिलाध्यक्ष रसिक बास्की व प्रखंड सचिव दिलीप कुमार झा ने भी पारा शिक्षकों के आंदोलन का समर्थन किया। रसिक बास्की ने कहा कि राज्य सरकार पारा शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है। सरकार को पारा शिक्षकों के हित में कोई न कोई फैसला अवश्य लेनी चाहिए। पारा शिक्षक लगातार आंदोलन कर रहे है। लोकतंत्र में आंदोलन करना सभी का अधिकार है। लेकिन सरकार पारा शिक्षकों के लिए जरा भी ¨चतित नहीं दिख रही है। योगेंद्र प्रसाद साह ने कहा कि इस बार पारा शिक्षक आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं। पारा शिक्षकों को समाज के सभी लोगों का समर्थन मिल रहा है। जब तक सरकार पारा शिक्षकों के हित में कोई फैसला नहीं लेती है। पारा शिक्षक हड़ताल पर बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि सौंपे गये मांग पत्र में पारा शिक्षकों को छतीसगढ़ के तर्ज पर स्थायीकरण एवं वेतनमान देना, जेल गये पारा शिक्षकों को बिना शर्त रिहा करने तथा बर्खास्त किये गये पारा शिक्षकों को पुन: सेवा में वापस लाने की मांग की गई है। इस दौरान उप संयोजक बिहारी हांसदा, धनश्याम प्रसाद साह, बजरंग मांझी, महेंद्र राय, अमीरलाल कुंवर, लाल बिहारी राय समेत अन्य पारा शिक्षक मौजूद थे।
शिक्षकों को गुंडा कह कर रघुवर ने किया अपमानित
शिकारीपाड़ा : एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले बरमसिया बीआरसी भवन के सामने पारा शिक्षकों ने एक दिवसीय धरना दिया। प्रखंड सचिव मो. खलील अंसारी ने कहा कि सरकार ने पारा शिक्षकों को योगदान करने के लिए 20 नवंबर का अल्टीमेटम दिया परंतु सरकार के आदेश को नकारते हुए पारा शिक्षकों ने योगदान नहीं किया। जिला समिति के सदस्य अब्दुल रकीब ने कहा कि रघुवर दास ने शिक्षकों को गुंडा कहकर संबोधित किया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। मौके पर मधुसूदन साह, मतिन अंसारी, मुकुल गोरांई, रफीक आलम, मनोवर जमाल, सुशील किस्कू, अलविना हांसदा, ज्योति किस्कू, सुनिता हांसदा, पार्थो दास, शब्बीर अंसारी, गौतम ¨सह निराना, कुमुद वरण राय, सुसांत मुखर्जी, वीणपानी पाल, दिलीप कुमार ¨सह, लखन मुर्मू, मंटु हांसदा, एमेली मरांडी, इनामुदीन अंसारी, मोनिका ब्रहन भट्टाचार्य, अख्तर अंसारी, एनुल मियां आदि थे।
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