सेवा शर्तों की स्पष्टता की कमी का दंश झेल रहे शिक्षक - The JKND Teachers Blog - झारखंड - शिक्षकों का ब्लॉग

► Today's Breaking

ads

Hot

Post Top Ad

Your Ad Spot

Sunday, 15 July 2018

सेवा शर्तों की स्पष्टता की कमी का दंश झेल रहे शिक्षक

दुमका : वर्ष 2008 में जेपीएससी के द्वारा नियुक्त कॉलेज शिक्षक एक दशक बाद भी सेवा शर्तों में स्पष्टता की कमी का दंश झेलने को विवश हैं। बताते चलें कि झारखंड में 2008 के बाद जेपीएससी के जरिए कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति भी नहीं हुई है। इससे पहले संयुक्त बिहार में 1996 में आयोग द्वारा नियुक्तियां की गई थी।
वर्तमान में जहां 1996 में नियुक्त शिक्षक सहायक प्रोफेसर से आगे प्रोन्नति नहीं पा सके हैं वही 2008 में नियुक्त शिक्षक आज भी अपनी सेवा शर्त स्पष्ट नहीं होने के कारण न सिर्फ कई लाभों से वंचित हैं बल्कि सामाजिक सुरक्षा से पूरी तरह महरुम हैं। केंद्र और राज्य की सरकारें भले ही उच्च शिक्षा के विकास के मद्देनजर बड़े-बड़े दावे कर रहे ही और ग्रास नामांकन बढ़ाने के लिए विभिन्न योजना बना रही हो लेकिन जमीनी हकीकत इससे भिन्न है। हाल यह कि झारखंड के कई जिलों में मॉडल कॉलेज और महिला कॉलेज खोले जा रहे हैं लेकिन कार्यरत शिक्षकों के मामले में सरकार का रवैया संवेदनशील नहीं है। दुरुह परिस्थितियों का अंदाजा इस बात से सहज ही लगाई जा सकती है कि 1985 के पूर्व नियुक्त शिक्षक प्रोफेसर में प्रोन्नति पाने की आस में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सिदो कान्हु मुर्मू विवि में शिक्षकों के सृजित पदों पर आधा पद रिक्त हो चुका है। सीबीसीएस जैसी आधुनिक व्यवस्था विवि में लागू हो चुकी है। ऐसे में कार्यरत शिक्षकों पर वर्क लोड काफी बढ़ता जा रहा है लेकिन प्रोन्नति एवं अन्य सेवा लाभ से इन्हें वंचित रखा जा रहा है। इसकी वजह से शिक्षकों में असंतोष की भावना तेजी से पनप रही है। जानकारी के मुताबिक

2008 में नियुक्त शिक्षकों को लगातार आवाज उठाने के बाद भी पीएचडी इंक्रीमेंट का लाभ आज तक नहीं मिल सका है। इससे जुड़ी फाइल विवि से एचआरडी की कई चक्कर काट चुकी है। यहां के शिक्षकों को एक एजीपी मिला लेकिन दूसरा एजीपी आज तक नहीं मिल सका है। फिलहाल झारखंड में सातवें वेतनमान को लागू करने की बात कही जा रही है। 2008 में नियुक्त शिक्षकों के लिए सबसे गंभीर सवाल पेंशन को लेकर भी है। इन शिक्षकों के मामले में यह साफ व स्प्ष्ट नहीं है कि उन पर पुरानी स्कीम लागू है की नई पेंशन योजना। नई पेंशन योजना को क्रियान्वयन के लिए पिछले 10 साल में कुछ नहीं किया गया है। पुरानी पेंशन योजना का लाभ भी इन्हें प्राप्त नहीं है। 2008 में नियुक्त गोड्डा कॉलेज के दो शिक्षकों की मृत्यु हो चुकी है। इसी माह एसएस कॉलेज देवघर के डॉ. विजय कुमार चौधरी की भी मृत्यु हो गई है। सेवा शर्त की अस्पष्टता इन शिक्षकों को सामाजिक सुरक्षा के अधिकार से भी वंचित कर रहा है और इसको लेकर अब इनके परिजन हलकान हो रहे हैं। वर्जन
यहां के तमाम शिक्षक और खासकर 2008 में नियुक्त शिक्षक कई समस्याओं से घिरे हैं। विवि एवं कालेज में ये आधा संख्या में हैं और कई महत्वपूर्ण जिम्मेवारी एक साथ निभा रहे हैं। सरकार इनके हितों की अनदेखी है जो उचित नहीं है। कई बार सरकार व कुलाधिपति से गुहार लगाने के बाद भी 2008 के शिक्षकों को वाजिब हक नहीं मिल रहा है। मंगलवार को संघ की कार्यकारिणी की बैठक होगी जिसमें नई रणनीति तय होगी।

डॉ.अजय सिन्हा, अध्यक्ष, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ

No comments:

Post a Comment

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

Advertisement

Big Breaking

Post Top Ad

Your Ad Spot

Copyright © 2019 Tech Location BD. All Right Reserved