गुमला जिला के कस्तुरबा विधालयों में शिक्षकों की कमी के कारण बालिकाओं की
शिक्षा बाधित हो रही है. बच्चियों ने इस सिलसिले में कई बार सरकार से अपील
भी की, लेकिन अब तक शिक्षक उपलब्ध नहीं कराये गये.
झारखंड सरकार से लेकर केंद्र तक बेटी बचाओ, बेटी पढ़़ाओ और पहले पढ़ाई, फिर विदाई जैसे नारे देते नहीं थकते. लेकिन सूबे के कस्तुरबा विधालयों की व्यवस्था देखकर नहीं लगता कि सरकारें बेटियों की पढ़ाई को लेकर गंभीर हैं.
केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से गुमला जिले के दस प्रखंडों में कस्तुरबा बालिका आवासीय विधालयों का संचालन हो रहा है. लेकिन इन विधालयों में कई विषय के शिक्षकों के पद लम्बे समय से खाली पड़े हैं. जिसको लेकर छात्राएं लगातार आवाज उठा रही हैं. बच्चियों की माने तो पहले तो केवल दसवीं तक की पढ़ायी होती थी, लेकिन अब प्लस टू तक की पढ़ाई होने के बाद भी शिक्षक मुहैया नहीं कराये जा रहे हैं.
ऐसा नहीं है कि कस्तुरबा विधालयों में शिक्षकों की कमी की समस्या से जिला शिक्षा विभाग के पदाधिकारी अवगत नहीं हैं. उनकी माने तो विधालयों में शिक्षक बहाली को लेकर राज्य सरकार के गाइडलाइन्स पर काम करना होता है. जल्द बहाली की प्रक्रिया पूरी कर शिक्षक की समस्या का समाधान कर लिया जाएगा.
कस्तुरबा विधालयों में शिक्षकों की कमी की समस्या कोई नई नहीं है. स्थापना काल से ही इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी रही है. लेकिन इसको लेकर कभी गंभीरता से विचार नहीं किया गया. जिसका नतीजा ये है कि स्थायी शिक्षकों की आजतक बहाली नहीं हो पायी है. अनुबंध पर कार्यरत शिक्षक बेहतर विकल्प मिलते ही दूसरे जगह चले जाते है. जिसके कारण शिक्षकों की कमी का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है.
झारखंड सरकार से लेकर केंद्र तक बेटी बचाओ, बेटी पढ़़ाओ और पहले पढ़ाई, फिर विदाई जैसे नारे देते नहीं थकते. लेकिन सूबे के कस्तुरबा विधालयों की व्यवस्था देखकर नहीं लगता कि सरकारें बेटियों की पढ़ाई को लेकर गंभीर हैं.
केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से गुमला जिले के दस प्रखंडों में कस्तुरबा बालिका आवासीय विधालयों का संचालन हो रहा है. लेकिन इन विधालयों में कई विषय के शिक्षकों के पद लम्बे समय से खाली पड़े हैं. जिसको लेकर छात्राएं लगातार आवाज उठा रही हैं. बच्चियों की माने तो पहले तो केवल दसवीं तक की पढ़ायी होती थी, लेकिन अब प्लस टू तक की पढ़ाई होने के बाद भी शिक्षक मुहैया नहीं कराये जा रहे हैं.
ऐसा नहीं है कि कस्तुरबा विधालयों में शिक्षकों की कमी की समस्या से जिला शिक्षा विभाग के पदाधिकारी अवगत नहीं हैं. उनकी माने तो विधालयों में शिक्षक बहाली को लेकर राज्य सरकार के गाइडलाइन्स पर काम करना होता है. जल्द बहाली की प्रक्रिया पूरी कर शिक्षक की समस्या का समाधान कर लिया जाएगा.
कस्तुरबा विधालयों में शिक्षकों की कमी की समस्या कोई नई नहीं है. स्थापना काल से ही इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी रही है. लेकिन इसको लेकर कभी गंभीरता से विचार नहीं किया गया. जिसका नतीजा ये है कि स्थायी शिक्षकों की आजतक बहाली नहीं हो पायी है. अनुबंध पर कार्यरत शिक्षक बेहतर विकल्प मिलते ही दूसरे जगह चले जाते है. जिसके कारण शिक्षकों की कमी का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है.
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