भास्कर न्यूज |जमशेदपुर/चाईबासा कोल्हानयूनिवर्सिटी (केयू) के परीक्षा विभाग की ओर से ग्रेजुएशन पार्ट
वन (सत्र 2016-19) का रिजल्ट शुक्रवार शाम जारी कर दिया गया। जारी रिजल्ट
के अनुसार पार्ट के लगभग 8 हजार विद्यार्थी फेल हो गए हैं।
साइंस में 57, कामर्स में 32, आर्ट्स में 36 प्रतिशत स्टूडेंट्स फेल हैं, जो पिछले वर्ष के रिजल्ट के मुकाबले काफी खराब है। रिजल्ट खराब होने के साथ ही छात्र संगठन उत्तेजित हो गए हैं और इसकी समीक्षा करनी शुरू कर दी है। यूनिवर्सिटी की ओर से अगस्त महीने में परीक्षा का आयोजन किया गया था तथा शहर के ग्रेजुएट टाटा कॉलेज चाईबासा में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन यूनिवर्सिटी के शिक्षकों द्वारा किया गया था।
साइंस में मात्र 43 प्रतिशत पास
केयूकी ओर से जारी रिजल्ट के अनुसार इस वर्ष साइंस में 43 प्रतिशत पास तथा 57 प्रतिशत फेल हैं। जबकि पिछले वर्ष पास विद्यार्थियों का प्रतिशत 61 तथा फेल विद्यार्थियों का प्रतिशत 39 था। कामर्स में इस वर्ष 68 प्रतिशत पास तथा 32 प्रतिशत फेल हैं जबकि पिछले वर्ष कामर्स स्ट्रीम में 85 प्रतिशत विद्यार्थी पास तथा 15 प्रतिशत फेल हुए थे। इसी तरह आर्ट्स में इस साल 64 प्रतिशत पास तथा 36 प्रतिशत फेल हैं। जबकि पिछले वर्ष 78 प्रतिशत विद्यार्थी पास और 22 प्रतिशत विद्यार्थी फेल हुए थे। रिजल्ट खराब होने की वजह से यूनिवर्सिटी का परीक्षा विभाग रिजल्ट को एग्जाम बोर्ड से पास कराने के बाद ही प्रकाशित करने की योजना बनाया था पर रिजल्ट प्रकाशन में देरी हो जाए इसलिए इसे शुक्रवार शाम ही जारी कर दिया गया। जारी रिजल्ट के अनुसार साइंस में लगभग 2500 विद्यार्थी परीक्षा दिए थे जिसमें से 1487 स्टूडेंट्स फेल हैं। कामर्स में 4400 विद्यार्थी परीक्षा दिए थे जिसमें से लगभग 1500 विद्यार्थी फेल हैं। इसी तरह आर्ट्स में 15500 विद्यार्थी परीक्षा दिए थे जिसमें से पांच हजार से अधिक विद्यार्थी फेल हो गए हैं।
जब केयू के शिक्षक करते हैं कापियों की जांच, तब खराब होता है रिजल्ट
केयूपरीक्षा के कापियों की जांच यहां के शिक्षक करते हैं तो रिजल्ट खराब होता है। वर्ष 2011 में यहां के शिक्षकों ने कापियों की जांच की, तो ओवरआल 39 प्रतिशत स्टूडेंट्स ही पास हुए। इसी तरह 2015 में तो मात्र 44 प्रतिशत ही पास कर पाए। जब विद्यार्थियों की कापियां बाहर जाती हैं तो यूनिवर्सिटी औसत रिजल्ट 70 प्रतिशत रहा है। एक्सपर्ट शिक्षकों का कहना है कि कोल्हान के अधिकतर शिक्षक फ्लैट तरीके से कापियों की जांच करते हैं जबकि नियमानुसार स्टेप वाई स्टेप जांच कर मार्क्स देना चाहिए। वर्ष 2015 में रिजल्ट खराब होने पर यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी डॉ. आरपीपी सिंह ने कार्यशाला आयोजित कर कैसे कापियां जांची जाए इसकी विस्तृत जानकारी खुद एक्सपर्ट के माध्यम से दिया था पर समय बीतने के साथ ही उसका असर समाप्त हो गया है।
साइंस में 57, कामर्स में 32, आर्ट्स में 36 प्रतिशत स्टूडेंट्स फेल हैं, जो पिछले वर्ष के रिजल्ट के मुकाबले काफी खराब है। रिजल्ट खराब होने के साथ ही छात्र संगठन उत्तेजित हो गए हैं और इसकी समीक्षा करनी शुरू कर दी है। यूनिवर्सिटी की ओर से अगस्त महीने में परीक्षा का आयोजन किया गया था तथा शहर के ग्रेजुएट टाटा कॉलेज चाईबासा में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन यूनिवर्सिटी के शिक्षकों द्वारा किया गया था।
साइंस में मात्र 43 प्रतिशत पास
केयूकी ओर से जारी रिजल्ट के अनुसार इस वर्ष साइंस में 43 प्रतिशत पास तथा 57 प्रतिशत फेल हैं। जबकि पिछले वर्ष पास विद्यार्थियों का प्रतिशत 61 तथा फेल विद्यार्थियों का प्रतिशत 39 था। कामर्स में इस वर्ष 68 प्रतिशत पास तथा 32 प्रतिशत फेल हैं जबकि पिछले वर्ष कामर्स स्ट्रीम में 85 प्रतिशत विद्यार्थी पास तथा 15 प्रतिशत फेल हुए थे। इसी तरह आर्ट्स में इस साल 64 प्रतिशत पास तथा 36 प्रतिशत फेल हैं। जबकि पिछले वर्ष 78 प्रतिशत विद्यार्थी पास और 22 प्रतिशत विद्यार्थी फेल हुए थे। रिजल्ट खराब होने की वजह से यूनिवर्सिटी का परीक्षा विभाग रिजल्ट को एग्जाम बोर्ड से पास कराने के बाद ही प्रकाशित करने की योजना बनाया था पर रिजल्ट प्रकाशन में देरी हो जाए इसलिए इसे शुक्रवार शाम ही जारी कर दिया गया। जारी रिजल्ट के अनुसार साइंस में लगभग 2500 विद्यार्थी परीक्षा दिए थे जिसमें से 1487 स्टूडेंट्स फेल हैं। कामर्स में 4400 विद्यार्थी परीक्षा दिए थे जिसमें से लगभग 1500 विद्यार्थी फेल हैं। इसी तरह आर्ट्स में 15500 विद्यार्थी परीक्षा दिए थे जिसमें से पांच हजार से अधिक विद्यार्थी फेल हो गए हैं।
जब केयू के शिक्षक करते हैं कापियों की जांच, तब खराब होता है रिजल्ट
केयूपरीक्षा के कापियों की जांच यहां के शिक्षक करते हैं तो रिजल्ट खराब होता है। वर्ष 2011 में यहां के शिक्षकों ने कापियों की जांच की, तो ओवरआल 39 प्रतिशत स्टूडेंट्स ही पास हुए। इसी तरह 2015 में तो मात्र 44 प्रतिशत ही पास कर पाए। जब विद्यार्थियों की कापियां बाहर जाती हैं तो यूनिवर्सिटी औसत रिजल्ट 70 प्रतिशत रहा है। एक्सपर्ट शिक्षकों का कहना है कि कोल्हान के अधिकतर शिक्षक फ्लैट तरीके से कापियों की जांच करते हैं जबकि नियमानुसार स्टेप वाई स्टेप जांच कर मार्क्स देना चाहिए। वर्ष 2015 में रिजल्ट खराब होने पर यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी डॉ. आरपीपी सिंह ने कार्यशाला आयोजित कर कैसे कापियां जांची जाए इसकी विस्तृत जानकारी खुद एक्सपर्ट के माध्यम से दिया था पर समय बीतने के साथ ही उसका असर समाप्त हो गया है।
No comments:
Post a Comment