गिरिडीह : जिले के प्राथमिक शिक्षकों के वेतन निर्धारण में शिथिलता बरती
जा रही है। लापरवाही का आलम यह है कि अब तक सैकड़ों शिक्षकों का वेतन
निर्धारण नहीं किया जा सका है, जबकि नये वित्तीय वर्ष से ही नया वेतनमान का
लाभ शिक्षकों को मिलना है। वेतन निर्धारण को लेकर शिक्षक कार्यालय का
चक्कर काटने को विवश हैं।
बताया जाता है कि जिले के सभी शिक्षकों के सातवां वेतनमान का निर्धारण होना है। इसके लिए प्रखंड स्तर पर शिविर लगाकर वेतन का निर्धारण किया जा रहा है, लेकिन अब तक न तो सभी प्रखंड में कैंप लग पाया है और न ही सभी शिक्षकों के वेतन का निर्धारण ही हो सका है। शिक्षक संगठनों ने विभाग की इस कार्यशैली पर रोष जताया है।
सैकड़ों शिक्षकों का नहीं हुआ वेतन निर्धारण :
विभिन्न शिक्षक संगठनों से जुड़े शिक्षकों ने बताया कि गत फरवरी तक ही वेतन निर्धारण का काम पूरा हो जाना चाहिए था, क्योंकि अप्रैल से सभी को नया वेतनमान मिलना है, लेकिन अभी तक डेढ हजार से अधिक शिक्षकों का वेतन निर्धारण नहीं हो सका है।
शुरू की नई परंपरा :
शिक्षकों का कहना है कि पूर्व में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जिला मुख्यालय में ही वेतन का निर्धारण किया जाता था। इसके सभी अंचलों से शिक्षकों वेतन निर्धारण प्रपत्र, सेवा पुस्तिका आदि मंगवाकर बीईईओ, क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी एवं डीडीओ की उपस्थिति में वेतन का निर्धारण किया जाता रहा है, लेकिन इस बार से प्रखंडों में शिविर लगाकर वेतन निर्धारण करने की नई परंपरा शुरू की गई है, जो गलत है। इससे गड़बड़ी और पारदर्शिता भंग होने की संभावना को बल मिलता है। साथ ही इससे अनावश्यक विलंब भी हो रहा है, जिसका खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ेगा।
शिविर में नहीं पहुंचे शिक्षक :
डीएसई कार्यालय के कर्मियों का कहना है कि बेंगाबाद व पीरटांड़ प्रखंड को छोड़ सभी प्रखंडों में शिविर का आयोजन किया जा चुका है। उन शिक्षकों का वेतन निर्धारण नहीं हो सका है, जो प्रखंडों में लगे शिविर में नहीं आये। वैसे शिक्षकों को जिला बुलाकर उनका वेतन निर्धारण किया जा रहा है। जिला शिक्षा अधीक्षक कमला ¨सह ने कहा कि अधिकांश शिक्षकों का वेतन निर्धारण हो चुका है। कुछ का बाकी है तो उसे एक-दो दिन में पूरा कर लिया जाएगा। कहा कि पूरी पारदर्शिता के साथ वेतन निर्धारण किया जा रहा है।
बताया जाता है कि जिले के सभी शिक्षकों के सातवां वेतनमान का निर्धारण होना है। इसके लिए प्रखंड स्तर पर शिविर लगाकर वेतन का निर्धारण किया जा रहा है, लेकिन अब तक न तो सभी प्रखंड में कैंप लग पाया है और न ही सभी शिक्षकों के वेतन का निर्धारण ही हो सका है। शिक्षक संगठनों ने विभाग की इस कार्यशैली पर रोष जताया है।
सैकड़ों शिक्षकों का नहीं हुआ वेतन निर्धारण :
विभिन्न शिक्षक संगठनों से जुड़े शिक्षकों ने बताया कि गत फरवरी तक ही वेतन निर्धारण का काम पूरा हो जाना चाहिए था, क्योंकि अप्रैल से सभी को नया वेतनमान मिलना है, लेकिन अभी तक डेढ हजार से अधिक शिक्षकों का वेतन निर्धारण नहीं हो सका है।
शुरू की नई परंपरा :
शिक्षकों का कहना है कि पूर्व में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जिला मुख्यालय में ही वेतन का निर्धारण किया जाता था। इसके सभी अंचलों से शिक्षकों वेतन निर्धारण प्रपत्र, सेवा पुस्तिका आदि मंगवाकर बीईईओ, क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी एवं डीडीओ की उपस्थिति में वेतन का निर्धारण किया जाता रहा है, लेकिन इस बार से प्रखंडों में शिविर लगाकर वेतन निर्धारण करने की नई परंपरा शुरू की गई है, जो गलत है। इससे गड़बड़ी और पारदर्शिता भंग होने की संभावना को बल मिलता है। साथ ही इससे अनावश्यक विलंब भी हो रहा है, जिसका खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ेगा।
शिविर में नहीं पहुंचे शिक्षक :
डीएसई कार्यालय के कर्मियों का कहना है कि बेंगाबाद व पीरटांड़ प्रखंड को छोड़ सभी प्रखंडों में शिविर का आयोजन किया जा चुका है। उन शिक्षकों का वेतन निर्धारण नहीं हो सका है, जो प्रखंडों में लगे शिविर में नहीं आये। वैसे शिक्षकों को जिला बुलाकर उनका वेतन निर्धारण किया जा रहा है। जिला शिक्षा अधीक्षक कमला ¨सह ने कहा कि अधिकांश शिक्षकों का वेतन निर्धारण हो चुका है। कुछ का बाकी है तो उसे एक-दो दिन में पूरा कर लिया जाएगा। कहा कि पूरी पारदर्शिता के साथ वेतन निर्धारण किया जा रहा है।
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