मांगों के समर्थन में क्षेत्र के कार्यरत पारा शिक्षक शनिवार को 50वें दिन
भी हड़ताल पर डटे रहे। सरकार ने उन्हें योगदान करने के लिए बर्खास्त करने
की धमकी के साथ साथ कई निर्देश जारी किया है। लेकिन वे सभी धमकी और निर्देश
काे नजरअंदाज करते हुए संघ के अंदर चट्टानी एकता बनाते हुए मांग पर आवाज
बुलंद करने लगे हैं। हालांकि पारा शिक्षकों के साथ अब राजनीतिक दल के लोग
भी हमराही बनने लगे हैं।
शनिवार को प्रखंड संसाधन केंद्र के निकट धरना पर बैठे पारा शिक्षको का झाविमो के स्थानीय नेता एवं शिक्षा प्रेमी माधव चंद्र महतो ने हौसला बढ़ाने का काम किया। उन्होंने मौजूदा राज्य सरकार के कार्यशैली पर प्रहार करते हुए कहा कि भाजपानीत सरकार पहले से ही शिक्षक और कर्मचारियों के खिलाफ दमनात्मक नीति अपनाती रही है। पिछले डेढ़ दशक से शिक्षा के क्षेत्र में एक बेहतर परिवेश बनाने वाले पारा शिक्षक आज अपना हक मांग रहे हैं तो सरकार उन्हें दबाना चाहती है। सरकार को समझना चाहिए कि अदालत ने भी अपनी फैसला में कहा है कि समान कार्य के बदले समान मेहनताना देना होगा। ऐसे में ये पारा शिक्षक भी उन सरकारी शिक्षकों के जैसा ही कार्य करते हैं तो फिर उन्हें उचित मजदूरी प्रदान करने में क्या दिक्कत हो सकती है।
पारा शिक्षकों को संबोधित करते जेवीएम नेता
असंवेदनशील है राज्य सरकार
महतोने कहा कि यह सरकार सिर्फ असंवेदनशील है बल्कि अदूरदर्शी भी है। अन्यथा भारत के कई राज्य में कार्यरत पारा शिक्षकों को जब वहां की सरकार ने उचित मेहनताना देना शुरू किया है तो झारखंड सरकार को भी वैसे राज्यों के नियमावली का अध्ययन करना चाहिए। हड़ताली पारा शिक्षकों का हौसला बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि संघ के अंदर एकता बनाए रखे तथा किसी की झूठी भभकी से डरने की आवश्यकता नहीं है। इस कार्यक्रम के दौरान सरकार के द्वारा मांगें नहीं मानने पर 15 नवंबर को स्थापना दिवस के मौके पर पुरजोर विरोध करने का निर्णय लिया गया। इस मौके पर संघ के प्रखंड अध्यक्ष शांतिमय मान्ना के अलावा डाॅ मदन मोहन गोरांई, दयामय मंडल, तरुण कुमार गण, वकील मरांडी, सुकुमार मंडल समेत पारा शिक्षक काफी संख्या में उपस्थित थे।
शनिवार को प्रखंड संसाधन केंद्र के निकट धरना पर बैठे पारा शिक्षको का झाविमो के स्थानीय नेता एवं शिक्षा प्रेमी माधव चंद्र महतो ने हौसला बढ़ाने का काम किया। उन्होंने मौजूदा राज्य सरकार के कार्यशैली पर प्रहार करते हुए कहा कि भाजपानीत सरकार पहले से ही शिक्षक और कर्मचारियों के खिलाफ दमनात्मक नीति अपनाती रही है। पिछले डेढ़ दशक से शिक्षा के क्षेत्र में एक बेहतर परिवेश बनाने वाले पारा शिक्षक आज अपना हक मांग रहे हैं तो सरकार उन्हें दबाना चाहती है। सरकार को समझना चाहिए कि अदालत ने भी अपनी फैसला में कहा है कि समान कार्य के बदले समान मेहनताना देना होगा। ऐसे में ये पारा शिक्षक भी उन सरकारी शिक्षकों के जैसा ही कार्य करते हैं तो फिर उन्हें उचित मजदूरी प्रदान करने में क्या दिक्कत हो सकती है।
पारा शिक्षकों को संबोधित करते जेवीएम नेता
असंवेदनशील है राज्य सरकार
महतोने कहा कि यह सरकार सिर्फ असंवेदनशील है बल्कि अदूरदर्शी भी है। अन्यथा भारत के कई राज्य में कार्यरत पारा शिक्षकों को जब वहां की सरकार ने उचित मेहनताना देना शुरू किया है तो झारखंड सरकार को भी वैसे राज्यों के नियमावली का अध्ययन करना चाहिए। हड़ताली पारा शिक्षकों का हौसला बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि संघ के अंदर एकता बनाए रखे तथा किसी की झूठी भभकी से डरने की आवश्यकता नहीं है। इस कार्यक्रम के दौरान सरकार के द्वारा मांगें नहीं मानने पर 15 नवंबर को स्थापना दिवस के मौके पर पुरजोर विरोध करने का निर्णय लिया गया। इस मौके पर संघ के प्रखंड अध्यक्ष शांतिमय मान्ना के अलावा डाॅ मदन मोहन गोरांई, दयामय मंडल, तरुण कुमार गण, वकील मरांडी, सुकुमार मंडल समेत पारा शिक्षक काफी संख्या में उपस्थित थे।
No comments:
Post a Comment