पॉलिटिकलरिपोर्टर | जमशेदपुर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड को ब्लैकमेलर टीचर नहीं चाहिए।
उन्होंने राज्य के हड़ताली पारा शिक्षकों से अपील की कि तय समय सीमा में वे
ड्यूटी पर लौटें। बच्चों के भविष्य के लिए स्कूल खोलें और पठन-पाठन में
शामिल हों।
अगर वे ऐसा नहीं करेंगे, तो 19 अक्टूबर के बाद राज्य सरकार ग्रामसभा के माध्यम से पारा शिक्षकों की नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करेगी। उक्त बातें सीएम ने रविवार शाम सिदगोड़ा सूर्य मंदिर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसी प्रकार के दबाव में काम नहीं करती है। राज्य सरकार पारा शिक्षकों के मानदेय में 10 फीसदी वृद्धि की मांग मान रही है लेकिन अनर्गल मांग नहीं मानी जाएगी।
उन्होंने कहा- पारा शिक्षक से लेकर कस्तूरबा विद्यालय, बीआरपी-सीआरपी प्रोजेक्ट संवर्ग के शिक्षक सरकार की बात नहीं मानते हैं और समय सीमा के अंदर स्कूल नहीं आते हैं तो ग्रामसभा की बैठक बुलाकर मुखिया के नेतृत्व में उनके स्थान पर नियुक्ति की जाएगी। राज्य में 32 हजार ग्रामसभा हैं। इनके जरिए नियुक्ति प्रक्रिया होगी। पारा शिक्षक राज्य के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
इधर, सरकार के कड़े रुख के बाद भी शिक्षक आंदोलन स्थगित करने के मूड में नहीं हैं। रविवार को झारखंड राज्य सहयोगी शिक्षा मित्र पारा शिक्षक संघ ने बयान जारी कर विभागीय पदाधिकारियों सरकार पर निशाना साधा। संघ के अनुसार पारा शिक्षकों के आंदोलन की सफलता से शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी मानसिक संतुलन खो चुके हैं। शनिवार का बयान इसी का परिणाम है। संघ ने कहा है कि अगर सरकार शिक्षकों को बर्खास्त करना चाहती है तो इसके लिए 25 अक्टूबर की तिथि निर्धारित करने की जरूरत क्या है। अगर हिम्मत है तो आज ही बर्खास्त करे। संघ का कहना है कि यह आंदोलन स्विस बैंक में पैसा भरने के लिए नहीं बल्कि परिवार का पेट भरने के लिए है जिसे पारा शिक्षक अंतिम परिणाम तक पहुंचाएंगे।
झारखंड को ब्लैकमेलर टीचर नहीं चाहिए- सीएम
अगर वे ऐसा नहीं करेंगे, तो 19 अक्टूबर के बाद राज्य सरकार ग्रामसभा के माध्यम से पारा शिक्षकों की नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करेगी। उक्त बातें सीएम ने रविवार शाम सिदगोड़ा सूर्य मंदिर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसी प्रकार के दबाव में काम नहीं करती है। राज्य सरकार पारा शिक्षकों के मानदेय में 10 फीसदी वृद्धि की मांग मान रही है लेकिन अनर्गल मांग नहीं मानी जाएगी।
उन्होंने कहा- पारा शिक्षक से लेकर कस्तूरबा विद्यालय, बीआरपी-सीआरपी प्रोजेक्ट संवर्ग के शिक्षक सरकार की बात नहीं मानते हैं और समय सीमा के अंदर स्कूल नहीं आते हैं तो ग्रामसभा की बैठक बुलाकर मुखिया के नेतृत्व में उनके स्थान पर नियुक्ति की जाएगी। राज्य में 32 हजार ग्रामसभा हैं। इनके जरिए नियुक्ति प्रक्रिया होगी। पारा शिक्षक राज्य के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
इधर, सरकार के कड़े रुख के बाद भी शिक्षक आंदोलन स्थगित करने के मूड में नहीं हैं। रविवार को झारखंड राज्य सहयोगी शिक्षा मित्र पारा शिक्षक संघ ने बयान जारी कर विभागीय पदाधिकारियों सरकार पर निशाना साधा। संघ के अनुसार पारा शिक्षकों के आंदोलन की सफलता से शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी मानसिक संतुलन खो चुके हैं। शनिवार का बयान इसी का परिणाम है। संघ ने कहा है कि अगर सरकार शिक्षकों को बर्खास्त करना चाहती है तो इसके लिए 25 अक्टूबर की तिथि निर्धारित करने की जरूरत क्या है। अगर हिम्मत है तो आज ही बर्खास्त करे। संघ का कहना है कि यह आंदोलन स्विस बैंक में पैसा भरने के लिए नहीं बल्कि परिवार का पेट भरने के लिए है जिसे पारा शिक्षक अंतिम परिणाम तक पहुंचाएंगे।
झारखंड को ब्लैकमेलर टीचर नहीं चाहिए- सीएम
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