धनबाद. 10 प्रतिशत मानदेय बढ़ोतरी और एरियर की मांग की पूर्ति करने के लिए
सरकार धन्यवाद की पात्र है, लेकिन हमारी मांग ‘समान काम समान वेतन’ है. यह
कहना है झारखंड प्रदेश पारा शिक्षक महासंघ के धनबाद जिलाध्यक्ष अश्विनी
सिंह का. उन्होंने बताया कि हमारी सुरक्षित भविष्य की मांग है, ताकि किसी
पारा शिक्षक का परिवार अचानक सड़क पर न आ जायें.
वर्तमान में पारा शिक्षक की मृत्यु होने पर उसका परिवार सड़क पर आ जाता है. अपनी मांगों को लेकर राजगंज लूसाडीह मैदान में 10 दिसंबर को टुंडी विधानसभा सम्मेलन से आंदोलन की शुरुआत की जायेगी. 10 हजार शिक्षकों के जुटाने की कोशिश होगी. इसमें अपने कर्तव्य एवं अधिकार की समीक्षा की जायेगी. सभी पारा शिक्षकों को पीएफ, कल्याण कोष का भी लाभ मिलना चाहिए. अपने साथ समाज को भी जोड़ने की हम कोशिश कर रहे हैं. हम समाज के ही बीच रहते हैं और नये समाज का निर्माण भी करते हैं.
आज मनरेगा मजदूर को भी मृत्यु पर दो लाख रुपये मुआवजा मिलता है, जबकि पारा शिक्षकों को एक रुपये नहीं मिलते हैं. कोई पदाधिकारी या नेता उसके घर झांकते तक नहीं जाते हैं. यह कब तक चलेगा. देखा जाये तो स्कूलों में पठन-पाठन का समान काम हम करते हैं, लेकिन वेतन एक चौथाई भी नहीं मिलती है. भविष्य न हम पारा शिक्षकों का सुरक्षित है और न हमारे परिवार का. इसलिए आंदोलन हमारी मजबूरी बन गयी है.
वर्तमान में पारा शिक्षक की मृत्यु होने पर उसका परिवार सड़क पर आ जाता है. अपनी मांगों को लेकर राजगंज लूसाडीह मैदान में 10 दिसंबर को टुंडी विधानसभा सम्मेलन से आंदोलन की शुरुआत की जायेगी. 10 हजार शिक्षकों के जुटाने की कोशिश होगी. इसमें अपने कर्तव्य एवं अधिकार की समीक्षा की जायेगी. सभी पारा शिक्षकों को पीएफ, कल्याण कोष का भी लाभ मिलना चाहिए. अपने साथ समाज को भी जोड़ने की हम कोशिश कर रहे हैं. हम समाज के ही बीच रहते हैं और नये समाज का निर्माण भी करते हैं.
आज मनरेगा मजदूर को भी मृत्यु पर दो लाख रुपये मुआवजा मिलता है, जबकि पारा शिक्षकों को एक रुपये नहीं मिलते हैं. कोई पदाधिकारी या नेता उसके घर झांकते तक नहीं जाते हैं. यह कब तक चलेगा. देखा जाये तो स्कूलों में पठन-पाठन का समान काम हम करते हैं, लेकिन वेतन एक चौथाई भी नहीं मिलती है. भविष्य न हम पारा शिक्षकों का सुरक्षित है और न हमारे परिवार का. इसलिए आंदोलन हमारी मजबूरी बन गयी है.
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