झारखंड में ' विद्यालय चलें, चलायें ' अभियान का हाल दयनीय है. सभी को
शिक्षित करने का सरकार की मंसा पर पानी फिरता दिख रहा है. कम-से-कम पाकुड़
के पाकुड़िया प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बाबुझुटी का हाल देखकर तो
ऐसा ही लग रहा है.
बता दें कि इस स्कूल में दो ही शिक्षक हैं. लेकिन दोनों ही शिक्षक नदारद रहते हैं. पढ़ने के लिए बच्चे स्कूल तो आते हैं मगर फिर लौट भी जाते हैं क्योंकि कोई शिक्षक नहीं होता है. स्कूल बंद रहता है.
बाबुझुटी के विद्यालय में एक-सौ-पच्चास बच्चे नामांकित हैं. प्रबंधन समिति के लोगों ने किसी भी सूरत में विद्यालय बंद नहीं रखने का आग्रह शिक्षकों से किया था. लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग के कई पदाधिकारियों को इसकी सूचना भी दी.
मालूम हो कि विद्यालय बंद रहने के कारण देख-रेख के अभाव में शौचालय जर्जर हो गया है. चापानल खराब पड़ा है. इस हालात में भी विद्यालय के ऊपर कमरा बनाया जा रहा है ताकि बच्चों को पढ़ाया जा सके.
क्षेत्र
के एक ग्रामीण बाबू अंसारी ने कहा कि यहां प्राय: मास्टर नहीं रहते हैं.
रोज स्कूल बंद ही रहता है. बच्चा जब लौटकर घर आ जाता है तब पूछते हैं कि
क्यों लौटकर आया तब कहता है कि मास्टर ही नहीं हैं.
उसने आगे कहा कि मास्टर 15-20 दिनों तक स्कूल नहीं आते हैं. दो -तीन साल से तो यही देख रहे हैं. यह स्कूल प्राय: बंद ही रहता है.
बता दें कि इस स्कूल में दो ही शिक्षक हैं. लेकिन दोनों ही शिक्षक नदारद रहते हैं. पढ़ने के लिए बच्चे स्कूल तो आते हैं मगर फिर लौट भी जाते हैं क्योंकि कोई शिक्षक नहीं होता है. स्कूल बंद रहता है.
बाबुझुटी के विद्यालय में एक-सौ-पच्चास बच्चे नामांकित हैं. प्रबंधन समिति के लोगों ने किसी भी सूरत में विद्यालय बंद नहीं रखने का आग्रह शिक्षकों से किया था. लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग के कई पदाधिकारियों को इसकी सूचना भी दी.
मालूम हो कि विद्यालय बंद रहने के कारण देख-रेख के अभाव में शौचालय जर्जर हो गया है. चापानल खराब पड़ा है. इस हालात में भी विद्यालय के ऊपर कमरा बनाया जा रहा है ताकि बच्चों को पढ़ाया जा सके.
उसने आगे कहा कि मास्टर 15-20 दिनों तक स्कूल नहीं आते हैं. दो -तीन साल से तो यही देख रहे हैं. यह स्कूल प्राय: बंद ही रहता है.
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