झारखंड: विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित - The JKND Teachers Blog - झारखंड - शिक्षकों का ब्लॉग

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Friday, 3 February 2017

झारखंड: विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

रांची। विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही गुरूवार को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दी गई। विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने भोजनावकाश के बाद बजट सत्र के दौरान लगातार हो रहे हंगामे के कारण सत्र की कार्यवाही को पूर्व निर्धारित समय से चार कार्य दिवस पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने की घोषणा कर दी।
विस के मौजूदा बजट सत्र में लगातार चल रहे विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के हंगामे को लेकर गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष डा. दिनेश उरांव ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा की जिस तरह से एक दल विधानसभा की कार्यवाही को प्रभावित कर रहा है, इसके लिए कड़ा निर्णय लेना होगा। सत्र को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित किए जाने के पहले सदन ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की अनुदान मांग को स्वीकृति प्रदान कर दी गई। इसके अलावा शेष बचे अन्य सभी विभागों की अनुदान मांग और विनियोग विधेयक संख्या 2 को भी मंजूरी दे दी। सत्र के अंतिम दिन बिना कोई चर्चा कराए छह राजकीय विधेयकों को भी स्वीकृति प्रदान कर दी। वहीं चार विधायकों के निलंबन को भी आज निरस्त करने पर सदन ने सहमति प्रदान की। विधानसभा अध्यक्ष ने अपने समापन भाषण में कहा कि कभी संवादहीनता के नाम पर तो कभी असंवैधानिक तरीके से उठाए गए मुद्दे को लेकर यह सत्र बहुत ज्यादा अव्यवस्थित रहा। उन्होंने कहा कि इस सत्र में सभा को अपने विशेषाधिकार की गरिमा के लिए कठोर निर्णय भी लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि सत्र में प्रश्न और ध्यानाकर्षण नहीं लिए जा सके। किसी सदस्य को कितना दुख पहुंचा होगा उससे ज्यादा वे भी व्यथित है। विस अध्यक्ष ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण है कि हम अपनी खोती जा रही प्रतिष्ठा को जनता के बीच कैसे पुनः स्थापित करें यह हमारे सामने एक यक्ष प्रश्न है। गुरुवार को 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई झामुमो के सदस्य फिर से सीएनटी-एसपीटी में सरलीकरण मामले पर नारे लगाने लगे। बाद में वे सदन के वेल में आ गए। इसपर अध्यक्ष उरांव ने कहा की जिस परिस्थिति में सदन चल रहा है, विपक्ष सदन बाधित कर रहा है यह सही नहीं है। यदि ऐसी स्थिति रही तो आसन की ओर से गंभीर निर्णय लेना पड़ेगा। जिसपर सदन में मौजूद भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि किसी एक दल का सदन नहीं हो सकता। झामुमो जानबूझकर सदन बाधित कर रहा है। उन्होंने विस अध्यक्ष से झामुमो सदस्यों को मार्शल आउट कराने की मांग की। उन्होंने कहा की ऐसे में सदन को चलाए जाने का कोई मतलब नहीं बनता है। इसके बाद सदन की कार्यवाही दिन के 12.45 तक के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं सदन के बाहर मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सदन की एक दिन की कार्यवाही पर लगभग 10 लाख रुपए का खर्च आता है। ऐसे में यदि अधिक से अधिक जनता से जुड़े मामले नहीं उठते है तो उनका नुकसान होता है। उन्होंने कहा की बजट सत्र शुरू होने से अबतक विपक्षी सदयों का सदन में जो व्यवहार रहा है उससे उनकी राजनैतिक अपरिपक्वता झलकती है। हमारे पास जनाधार है। अगर विपक्ष सदन नहीं चलने देना चाहता है तो इसे साइनडाई कर देना चाहिए। उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री रघुवर दास ने साफ कहा है कि दोनों कानूनों के सरलीकरण को लेकर सरकार पीछे नहीं हटेगी। विपक्ष की ओर से झाविमो के प्रदीप यादव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनका दल भी दोनों एक्ट में परिवर्तन के खिलाफ है, लेकिन वह भी चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही चले। गौरतलब है कि 17 जनवरी से शुरू हुए बजट सत्र में अबतक एक दिन भी प्रश्नकाल नहीं चला है। तय कार्यक्रम के अनुसार बजट सत्र सात फरवरी तक चलना था।
प्रदीप यादव ने कटौती प्रस्ताव को रखा
प्रभारी मंत्री सरयू राय ने स्कूली शिक्षा विभाग की अनुदान मांग को पेश किया और झाविमो के प्रदीप यादव ने कटौती प्रस्ताव को रखा। इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को भोजनावकाश के लिए दोपहर दो बजे दिन तक के लिए स्थगित कर दी और अपने कक्ष में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाई। भोजनावकाश के बाद दोपहर दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यमंत्रणा समिति में लिए गए निर्णय को सत्तारुढ़ दल के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर रखने का निर्देश दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति ने बजट सत्र के दौरान निरंतर व्यवधान को देखते हुए सभी विभागों की अनुदान मांगों को गुरुवार को गिलोटिन के माध्यम से पारित कराने और विनियोग विधेयक के अलावा छह राजकीय विधेयकों को पेश किए जाने की बात कही। अनुदान मांग और विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान सदन में उपस्थित झामुमो के सभी सदस्यों और देवेंद्र सिंह को छोड़कर कांग्रेस के सभी विधायकों ने सदन का बहिर्गमन किया। बजट और विधायी कार्य निपटाए जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने की घोषणा की।
छह विधेयकों को मिली मंजूरी
गुरुवार को जिन छह विधेयकों को मंजूरी प्रदान की गई उनमें झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग संशोधन विधेयक 2017, झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2017, सरला-बिरसा विश्वविद्यालय, झारखंड राज्य मूल्यवद्धित कर संशोधन विधेयक, अरका जैन विश्वविद्यालय 2017, वाईबीएन विश्वविद्यालय विधेयक 2017 शामिल हैं। विधेयकों को मंजूरी प्रदान किए जाने के बाद विस अध्यक्ष ने सदाचार एवं विधायक निधि अनुश्रवण समिति की सिफारिश पर सदन द्वारा 19 जनवरी 2017 को चार विधायकों शशिभूषण सामड़, पौलुस सुरीन, अमित महतो और इरफान अंसारी के निलंबन का जिक्र करते हुए कहा कि इस संबंध में दलीय नेताओं की ओर से पुनर्विचार का आग्रह पत्र प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन और कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम की ओर से निलंबन के मसले पर सदभावपूर्ण पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें दलीय नेताओं ने भी निलंबित विधायकों के आचरण को अशोभनीय और सदन की गरिमा के विपरीत बताया। उन्होंने कहा कि दलीय नेताओं का आग्रह प्रशंसनीय है, लेकिन निलंबित विधायकों को स्वयं यह सोचे कि सदन की गरिमा कैसे बढ़ेगी। संसदीय कार्यमंत्री राय ने सभा द्वारा 19 जनवरी को पारित चार विधायकों के चालू बजट सत्र के साथ ही 31 मार्च 2017 के निलंबन के प्रभाव को 2 फरवरी की तिथि को निरस्त किए जाने का आग्रह किया, जिसे स्वीकृति प्रदान कर दी गई।

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