गिरिडीह। सरकार
द्वारा शिक्षा का अलख जलाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाकर करोड़ों रुपए
खर्च किए जा रहे हैं।जिससे बच्चे स्कूल में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें।
लेकिन आज भी कई ऐसे विद्यालय हैं जहां बच्चों को बैठने की सुविधा नहीं है।
ऐसा ही एक विद्यालय है सिंघो पंचायत का उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय
ककनी।
इस
विद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण सभी वर्ग के विद्यार्थियों को जमीन
पर बैठकर पढ़ाई करना मजबूरी बन गयी है।विद्यालय प्रबंधन समिति ने जिले के
अधिकारियों और बीईईओ से शिक्षक यहां बहाल करने की मांग की थी पर अब-तक एक
भी शिक्षक की बहाली नहीं की गई है।
नहीं मिल रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
इसके
लिए विभाग के लोग अभी काफी गंभीर हैं। मध्याहन भोजन, स्कूल ड्रेस,
छात्रवृत्ति, खेल सामग्री आदि की सुविधा दी जा रही है ताकि गांव के बच्चे व
बच्चियां प्रतिदिन विद्यालय जाएं और अच्छी शिक्षा प्राप्त करें। इस
विद्यालय में पहली से आठवी क्लास तक की पढ़ाई होती है। विद्यालय में 251
नामांकित बच्चे हैं जिसमें से प्रतिदिन 200 से अधिक बच्चों की उपस्थित रहते
हैं। इनके लिए मात्र दो शिक्षक यहां कार्यरत हैं।
टीचर रहते नदारद
इसमें
सरकारी शिक्षक एहसानुल हक और पारा शिक्षक सरफराज अहमद हैं। सरकारी शिक्षक
विद्यालय के काम से अक्सर बाहर रहते हैं। एक शिक्षक होने के कारण सभी
बच्चों को क्लास में नहीं बैठाकर बरामदे में बैठाया जाता है। विद्यालय में
बच्चों के अनुकूल कमरा, टेबल, बैंच, मध्याहन भोजन, पोशाक आदि सारी सुविधाएं
दी जा रही हैं।
पारा
शिक्षक अहमद ने कहा कि 200 बच्चों को अकेले पढ़ा पाना किसी के लिए भी
मुश्किल काम है। समिति के अध्यक्ष अनवर अंसारी ने कहा कि यह विद्यालय
शिक्षा का मंदिर नहीं बल्कि भोजनालय बनकर रह गया है। इससे बच्चों का समय
बर्बाद हो रहा है और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
इस
बात को लेकर जिला शिक्षा अधीक्षक व प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को
आवेदन दिया गया है। विद्यालय में चार शिक्षकों का पद रिक्त हैं। कई वर्ष से
इस समस्या से बच्चे व उनके अभिभावक जूझ रहे हैं। ग्रामीण मो. तौसिफ ने कहा
कि प्रखंड में कई ऐसे विधालय हैं जहां बच्चे कम और शिक्षक अधिक हैं।
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