शुक्रवार को सुबह 4.15 बजे मैं ‘दूध वाला फ्लाइट’ पकड़ने के लिए घर से निकला। मैं इसे दूध वाला फ्लाइट कहता हूं, क्योंकि इसके लिए मुझे उसी समय घर से निकलना पड़ता है, जब दूध वाले दूध बांटने के लिए घर से निकलते हैं।
रास्ते में छह बाइकर्स ने तेजी से कार को ऐसे ओवरटेक किया कि मेरा ड्राइवर घबरा गया। उसने कहा, ‘इस पीढ़ी को हुआ क्या है? ये अपने ही भविष्य का नुकसान क्यों कर रहे हैं’? वह बहुत कुछ बोलता रहा। मुझे खुशी थी कि बहुत शिक्षित न होने के बावजूद उसके साथ पुख्ता मूल्य हैं। अभी उसने बड़बड़ाना बंद भी नहीं किया था कि हमने देखा कि एयरपोर्ट के नजदीक भारी पुलिस बटालियन मौजूद थी। वैसे मुंबई में यह सामान्य बात है, लेकिन गणतंत्र दिवस कारण सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उसी नाकाबंदी पर हमने उन्हीं छह लड़कों को कतार में खड़ा देखा। पुलिस ने उनकी बाइक रोकी है और उनके कागजात-लाइसेंस देखे जा रहे हैं। ‘देखिए, मैंने आपसे कहा था’। मेरे ड्राइवर ने कहा।’ अब इनके पैरेंट्स को पूरा दिन पुलिस स्टेशन में बिताना होगा और अपने बच्चों को बचाने की कोशिश करनी होगी’।
ड्राइवर ने मुझे एयरपोर्ट पर छोड़ दिया। मैंने चैक इन किया और पढ़ने के लिए अखबार उठाया। मैं लाउंज में इंतजार करने लगा। तभी मेरा फोन बजा। फोन मेरे ड्राइवर का था। उसने कहा मैं घर सुरक्षित पहुंच गया हूं। यह आदत उसने लंबे समय से अपना रखी थी। उसने यह भी बताया कि उन छह लड़कों को गिरफ्तार कर लिया गया था, क्योंकि उनके पास जरूरी कागजात नहीं थे। अब मुझे उन लड़कों के लिए सही में बहुत बुरा लग रहा था, क्योंकि इससे उनका भविष्य लंबे समय तक अधर में रहने की आशंका है। इस दुखद घटना के बाद मैं बस में सवार हुआ, क्योंकि हमारा विमान एयरपोर्ट पर काफी दूर लगा था। बस में मैंने देखा कि दो लोग एक-दूसरे का फोटो ले रहे हैं। बोर्डिंग के पहले तक दोनों ऐसा करते रहे। दोनों की उम्र करीब 30-35 साल रही होगी। वे रनवे पर और कुछ अन्य स्थानों पर फोटोग्राफी प्रतिबंध पर अज्ञानता उजागर करते रहे। दो सुरक्षा अधिकारी वहां पहुंचे और उन्हें हवाई जहाज से दूर ले जाकर सारे फोटो डिलिट करवाए। साथ ही उनसे उनकी अन्य जानकारियां मांगी। दोनों युवकों और सुरक्षकर्मियों के बीच लंबी बहस हुई। यात्रियों में से किसी ने कहा कि भारतीय लोगों में सेल्फी को लेकर यह दीवानापन कभी कम नहीं होगा!
और यह बात सही भी थी। सेल्फी फीवर विमान के उड़ान भरने के बाद अंदर भी जारी रहा। मुझे थोड़ी शर्मिन्दगी हुई जब चालक दल के एक युवा सदस्य ने बाहर आकर ऐसा करने से मना किया और मोबाइल फोटोग्राफी में व्यस्त लोगों के इस कथित बुरे व्यवहार की निंदा की। लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा। फ्लाइट के दौरान पूरे समय चालक दल के सदस्य इन लोगों को किसी न किसी वजह से टोकते रहे। विमान में दो बच्चे बार-बार कॉलिंग बैल बजाते रहे और जब एयर होस्टेस अटेंड करने आती तो ऐसा दिखाते जैसे वे सो रहे हैं। ये बच्चे न सिर्फ चालक दल के सदस्यों के लिए परेशानी खड़ी कर ही रहे थे, बल्कि सुबह का समय होने के कारण उनींदें सह-यात्री भी इनसे परेशान हो रहे थे। उनकी मां गहरी नींद में थीं और पिता इस अनियमित व्यवहार को काबू करने के मूड में नहीं थे। मुझे याद आया कि किसी ने कहा है कि जब हम किसी मां को हाउसवाइफ होने पर शर्मिन्दा करने की कोशिश करते हैं, जब हम छात्रों को अपने शिक्षकों की निंदा करने से न रोककर शिक्षक का महत्व कम करते हैं और जब हम रोल मॉडल्स पर शक कर उनके स्तर को कम करते हैं, तो पहला नुकसान हमारे नैतिक मूल्यों का होता है, जो इंसानियत का आधार है।
फंडा यह है कि  मां, शिक्षक और रोल मॉडल की भूमिका को महत्वपूर्ण बनाकर हम युवाओं में ऊंचे नैतिक मूल्य स्थापित कर सकते हैं।
मैनेजमेंट फंडा
एन. रघुरामन
मैनेजमेंट गुरु
रास्ते में छह बाइकर्स ने तेजी से कार को ऐसे ओवरटेक किया कि मेरा ड्राइवर घबरा गया। उसने कहा, ‘इस पीढ़ी को हुआ क्या है? ये अपने ही भविष्य का नुकसान क्यों कर रहे हैं’? वह बहुत कुछ बोलता रहा। मुझे खुशी थी कि बहुत शिक्षित न होने के बावजूद उसके साथ पुख्ता मूल्य हैं। अभी उसने बड़बड़ाना बंद भी नहीं किया था कि हमने देखा कि एयरपोर्ट के नजदीक भारी पुलिस बटालियन मौजूद थी। वैसे मुंबई में यह सामान्य बात है, लेकिन गणतंत्र दिवस कारण सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उसी नाकाबंदी पर हमने उन्हीं छह लड़कों को कतार में खड़ा देखा। पुलिस ने उनकी बाइक रोकी है और उनके कागजात-लाइसेंस देखे जा रहे हैं। ‘देखिए, मैंने आपसे कहा था’। मेरे ड्राइवर ने कहा।’ अब इनके पैरेंट्स को पूरा दिन पुलिस स्टेशन में बिताना होगा और अपने बच्चों को बचाने की कोशिश करनी होगी’।
ड्राइवर ने मुझे एयरपोर्ट पर छोड़ दिया। मैंने चैक इन किया और पढ़ने के लिए अखबार उठाया। मैं लाउंज में इंतजार करने लगा। तभी मेरा फोन बजा। फोन मेरे ड्राइवर का था। उसने कहा मैं घर सुरक्षित पहुंच गया हूं। यह आदत उसने लंबे समय से अपना रखी थी। उसने यह भी बताया कि उन छह लड़कों को गिरफ्तार कर लिया गया था, क्योंकि उनके पास जरूरी कागजात नहीं थे। अब मुझे उन लड़कों के लिए सही में बहुत बुरा लग रहा था, क्योंकि इससे उनका भविष्य लंबे समय तक अधर में रहने की आशंका है। इस दुखद घटना के बाद मैं बस में सवार हुआ, क्योंकि हमारा विमान एयरपोर्ट पर काफी दूर लगा था। बस में मैंने देखा कि दो लोग एक-दूसरे का फोटो ले रहे हैं। बोर्डिंग के पहले तक दोनों ऐसा करते रहे। दोनों की उम्र करीब 30-35 साल रही होगी। वे रनवे पर और कुछ अन्य स्थानों पर फोटोग्राफी प्रतिबंध पर अज्ञानता उजागर करते रहे। दो सुरक्षा अधिकारी वहां पहुंचे और उन्हें हवाई जहाज से दूर ले जाकर सारे फोटो डिलिट करवाए। साथ ही उनसे उनकी अन्य जानकारियां मांगी। दोनों युवकों और सुरक्षकर्मियों के बीच लंबी बहस हुई। यात्रियों में से किसी ने कहा कि भारतीय लोगों में सेल्फी को लेकर यह दीवानापन कभी कम नहीं होगा!
और यह बात सही भी थी। सेल्फी फीवर विमान के उड़ान भरने के बाद अंदर भी जारी रहा। मुझे थोड़ी शर्मिन्दगी हुई जब चालक दल के एक युवा सदस्य ने बाहर आकर ऐसा करने से मना किया और मोबाइल फोटोग्राफी में व्यस्त लोगों के इस कथित बुरे व्यवहार की निंदा की। लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा। फ्लाइट के दौरान पूरे समय चालक दल के सदस्य इन लोगों को किसी न किसी वजह से टोकते रहे। विमान में दो बच्चे बार-बार कॉलिंग बैल बजाते रहे और जब एयर होस्टेस अटेंड करने आती तो ऐसा दिखाते जैसे वे सो रहे हैं। ये बच्चे न सिर्फ चालक दल के सदस्यों के लिए परेशानी खड़ी कर ही रहे थे, बल्कि सुबह का समय होने के कारण उनींदें सह-यात्री भी इनसे परेशान हो रहे थे। उनकी मां गहरी नींद में थीं और पिता इस अनियमित व्यवहार को काबू करने के मूड में नहीं थे। मुझे याद आया कि किसी ने कहा है कि जब हम किसी मां को हाउसवाइफ होने पर शर्मिन्दा करने की कोशिश करते हैं, जब हम छात्रों को अपने शिक्षकों की निंदा करने से न रोककर शिक्षक का महत्व कम करते हैं और जब हम रोल मॉडल्स पर शक कर उनके स्तर को कम करते हैं, तो पहला नुकसान हमारे नैतिक मूल्यों का होता है, जो इंसानियत का आधार है।
फंडा यह है कि  मां, शिक्षक और रोल मॉडल की भूमिका को महत्वपूर्ण बनाकर हम युवाओं में ऊंचे नैतिक मूल्य स्थापित कर सकते हैं।
मैनेजमेंट फंडा
एन. रघुरामन
मैनेजमेंट गुरु
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