रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो प्रदेश के 11 गैर अनुसूचित जिलों की तृतीय और चतुर्थ वर्गीय नौकरियों में अब उस जिले के लोगों को प्राथमिकता मिलेगी। बेहतर योग्यता होने पर ही उस जिले से बाहर के लोग इन नौकरियों को पा सकेंगे। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने यह फैसला लिया है।
प्रदेश के 13 अनुसूचित जिलों में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां अगले 10 साल के लिए स्थानीय लोगों के लिए पहले से ही आरक्षित हैं। राज्य मंत्रिमंडल का फैसला तृतीय और चतुर्थ वर्ग की उन नौकरियों के लिए प्रभावी होगा, जिनकी नियुक्ति जिला स्तरीय पदाधिकारी कर रहे हैं। कैबिनेट का यह फैसला प्रमंडल स्तर की नियुक्तियों के लिए भी है। प्रमंडल स्तर पर होने वाली तृतीय और चतुर्थ वर्गीय नियुक्तियों में उस प्रमंडल के लोगों को प्राथमिकता मिलेगी। राज्य कर्मचारी चयन आयोग या किसी राज्य स्तरीय पदाधिकारी की ओर से नियुक्ति किए जाने की स्थिति में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में झारखंड के स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिलेगी। केवल झारखंड लोकसेवा आयोग की ओर से की जाने वाली नियुक्तियों पर राज्य मंत्रिमंडल का यह फैसला लागू नहीं होगा।
इसे ऐसे समझें
सुमित और अमित ने रांची जिले में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। मान लीजिए कि सुमित रांची जिले का निवासी है और अमित लोहरदगा जिले का निवासी है। सुमित का भी मेधांक 50 है और अमित का भी 50 है। ऐसी स्थिति में नौकरी सुमित को ही मिलेगी, क्योंकि वह रांची जिले का है और अमित लोहरदगा जिले का है। अमित को रांची में सुमित से पहले प्राथमिक शिक्षक की नौकरी तभी मिलेगी, जब वह मेधांक 51 लाए। इसी तरह समान अंक रहने पर प्रमंडल स्तर की नौकरी में उसी प्रमंडल के लोगों को और राज्य स्तर पर झारखंड के लोगों को प्राथमिकता मिलेगी।
स्थानीय नीति से होगा तय
किसी जिले, प्रमंडल या झारखंड का निवासी कौन है यह 18 अप्रैल 2016 को कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग की ओर से जारी की गई स्थानीय नीति की अधिसूचना से तय होगा।
इन जिलों में फैसला होगा लागू
प्रदेश के 11 गैर अनुसूचित जिले पलामू, गढ़वा, गोड्डा, देवघर, धनबाद, गिरिडीह, बोकारो, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़ और कोडरमा हैं। इसके अलावा बाकी जिले अनुसूचित हैं।
इन नौकरियों में होगा लागू
प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां वाहन चालक, लिपिक, पंचायत सेवक, जनसेवक, अवर वन क्षेत्र कर्मी, प्राथमिक विद्यालय शिक्षक और कर्मी, उच्च विद्यालय शिक्षक और कर्मचारी, प्लस टू विद्यालय शिक्षक और कर्मचारी, अनुदेशक, अमीन, कनीय राजस्वकर्मी, निर्सिंग स्टाफ और आरक्षी की हैं।
हाईकोर्ट का फैसला हुआ लागू
राज्य मंत्रिमंडल में पेश किए गए एजेंडे में कहा गया है कि गैर अनुसूचित क्षेत्र की नौकरियों के लिए भी यह प्राथमिकता हाईकोर्ट की ओर से 2002 में दिए गए फैसले के तहत दी जा रही है। प्रशांत विद्यार्थी एवं सुमन कुमार सिंह बनाम झारखंड सरकार के मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर सभी चीजें समान हों तो स्थानीय नागरिक को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में अगर बाहर के निवासी की मेरिट बेहतर हो तभी उसे नौकरी मिले। ऐसी प्राथमिकता देने में भी कुछ भी गैरकानूनी नहीं है।
प्रदेश के 13 अनुसूचित जिलों में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां अगले 10 साल के लिए स्थानीय लोगों के लिए पहले से ही आरक्षित हैं। राज्य मंत्रिमंडल का फैसला तृतीय और चतुर्थ वर्ग की उन नौकरियों के लिए प्रभावी होगा, जिनकी नियुक्ति जिला स्तरीय पदाधिकारी कर रहे हैं। कैबिनेट का यह फैसला प्रमंडल स्तर की नियुक्तियों के लिए भी है। प्रमंडल स्तर पर होने वाली तृतीय और चतुर्थ वर्गीय नियुक्तियों में उस प्रमंडल के लोगों को प्राथमिकता मिलेगी। राज्य कर्मचारी चयन आयोग या किसी राज्य स्तरीय पदाधिकारी की ओर से नियुक्ति किए जाने की स्थिति में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में झारखंड के स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिलेगी। केवल झारखंड लोकसेवा आयोग की ओर से की जाने वाली नियुक्तियों पर राज्य मंत्रिमंडल का यह फैसला लागू नहीं होगा।
इसे ऐसे समझें
सुमित और अमित ने रांची जिले में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। मान लीजिए कि सुमित रांची जिले का निवासी है और अमित लोहरदगा जिले का निवासी है। सुमित का भी मेधांक 50 है और अमित का भी 50 है। ऐसी स्थिति में नौकरी सुमित को ही मिलेगी, क्योंकि वह रांची जिले का है और अमित लोहरदगा जिले का है। अमित को रांची में सुमित से पहले प्राथमिक शिक्षक की नौकरी तभी मिलेगी, जब वह मेधांक 51 लाए। इसी तरह समान अंक रहने पर प्रमंडल स्तर की नौकरी में उसी प्रमंडल के लोगों को और राज्य स्तर पर झारखंड के लोगों को प्राथमिकता मिलेगी।
स्थानीय नीति से होगा तय
किसी जिले, प्रमंडल या झारखंड का निवासी कौन है यह 18 अप्रैल 2016 को कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग की ओर से जारी की गई स्थानीय नीति की अधिसूचना से तय होगा।
इन जिलों में फैसला होगा लागू
प्रदेश के 11 गैर अनुसूचित जिले पलामू, गढ़वा, गोड्डा, देवघर, धनबाद, गिरिडीह, बोकारो, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़ और कोडरमा हैं। इसके अलावा बाकी जिले अनुसूचित हैं।
इन नौकरियों में होगा लागू
प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां वाहन चालक, लिपिक, पंचायत सेवक, जनसेवक, अवर वन क्षेत्र कर्मी, प्राथमिक विद्यालय शिक्षक और कर्मी, उच्च विद्यालय शिक्षक और कर्मचारी, प्लस टू विद्यालय शिक्षक और कर्मचारी, अनुदेशक, अमीन, कनीय राजस्वकर्मी, निर्सिंग स्टाफ और आरक्षी की हैं।
हाईकोर्ट का फैसला हुआ लागू
राज्य मंत्रिमंडल में पेश किए गए एजेंडे में कहा गया है कि गैर अनुसूचित क्षेत्र की नौकरियों के लिए भी यह प्राथमिकता हाईकोर्ट की ओर से 2002 में दिए गए फैसले के तहत दी जा रही है। प्रशांत विद्यार्थी एवं सुमन कुमार सिंह बनाम झारखंड सरकार के मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर सभी चीजें समान हों तो स्थानीय नागरिक को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में अगर बाहर के निवासी की मेरिट बेहतर हो तभी उसे नौकरी मिले। ऐसी प्राथमिकता देने में भी कुछ भी गैरकानूनी नहीं है।
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