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Teachers Transfer Posting: फिर फंस गई शिक्षकों की गाड़ी, स्थानांतरण नियमावली चुनाव आयोग ने लौटाया

 रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Teachers Transfer Posting प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर गठित नियमावली आदर्श आचार संहिता में फंस गई है। इसमें किसी भी प्रकार का संशोधन पंचायत चुनाव के बाद ही हो पाएगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने शिक्षकों की स्थानांतरण नियमावली में संशोधन को पंचायत चुनाव को लेकर लागू आदर्श आचार संहिता के दायरे में बताते हुए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को अधिसूचना जारी करने की अनुमति नहीं दी।


राज्य मंत्रिपरिषद ने 13 अप्रैल को ही शिक्षकों की स्थानांतरण नियमावली में संशोधन पर स्वीकृति प्रदान की थी। हालांकि मंत्रिमंडल समन्वय विभाग ने पंचायत चुनाव को लेकर लागू आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए इसपर राज्य निर्वाचन आयोग से अनुमति लेकर ही अधिसूचना जारी करने के निर्देश स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को दिए थे। इस आलोक में विभाग ने राज्य निर्वाचन आयोग से अधिसूचना जारी करने की अनुमति मांगी थी। आयोग ने यह अनुमति नहीं दी।

अब पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद ही नियमावली में संशोधन की अधिसूचना जारी हो सकेगी। बता दें कि नियमावली में किए जा रहे संशोधन से शिक्षकों का जहां अंतर जिला स्थानांतरण हो सकेगा, वहीं शिक्षक अपने गृह जिला में भी पदस्थापित हो सकेंगे। शिक्षकों का चरणबद्ध ढंग से तबादला होगा। अंतर जिला स्थानांतरण के लिए शिक्षक को तीन साल की सेवा पूरी करनी होगी। प्रथम चरण में महिला, दिव्यांग, गंभीर रोग से ग्रस्त एवं पति-पत्नी का स्थानांतरण होगा।

पारा शिक्षक को बना दिया प्रभारी हेडमास्टर, वेतन वृद्धि पर लगी रोक

राज्य शिक्षा सेवा की पदाधिकारी धनबाद की जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रबला खेस ने कोडरमा में जिला शिक्षा अधीक्षक रहते एक पारा शिक्षक को प्रधानाध्यापक का प्रभार दे दिया था। इस आरोप में राज्य सरकार ने इनके एक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी है। वहीं, एक अन्य मामले में सिमडेगा की तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी मुक्ति रानी सिंह के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संचालित करने का निर्णय लिया है। प्रबला खेस ने कोडरमा के सतगावां उत्क्रमित मध्य विद्यालय में स्थायी सरकारी शिक्षक रहते हुए भी अनुबंध पर कार्यरत पारा शिक्षक को प्रधानाध्यापक के महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंप दी थी। इनपर बच्चों को समय पर पोशाक उपलब्ध नहीं कराने के भी आरोप थे।

प्राथमिक शिक्षा निदेशक द्वारा गठित आरोप पत्र के आलोक में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इनसे इसपर स्पष्टीकरण मांगा, जिसपर ये प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के विरुद्ध आरोप लगाने के अलावा संतोषजनक जवाब नहीं दे सकीं। इधर, मुक्ति रानी सिंह पर सिमडेगा के तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी के रूप में विधानसभा चुनाव सहित कई विषयों को लेकर आयोजित बैठकों में शामिल नहीं होने, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के आदेश का अनुपालन नहीं करने, बिना अनुमति मुख्यालय से गायब रहने तथा अपने कार्यालय में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के आरोप लगे थे।

उपायुक्त ने इस मामले की जांच कराई तो आरोप प्रथमदृष्टया सही पाया गया। इस बीच, मुक्ति रानी सिंह सेवानिवृत्त हो गईं। अब राज्य सरकार ने इनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संचालित करने का निर्णय लिया है। जांच की जिम्मेदारी विभागीय जांच पदाधिकारी तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व पदाधिकारी रमेश दूबे को दी गई है। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद इनके पेंशन से राशि की कटौती की जा सकती है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने दोनों मामलों में अलग-अलग आदेश जारी कर दिया है।

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