झारखंडः मात्र दो सप्ताह की होगी गर्मी की छुट्टी, शिक्षकों को करना होगा ये काम - The JKND Teachers Blog - झारखंड - शिक्षकों का ब्लॉग

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Tuesday 26 April 2022

झारखंडः मात्र दो सप्ताह की होगी गर्मी की छुट्टी, शिक्षकों को करना होगा ये काम

 झारखंड में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की गर्मी की छुट्टी में कटौती की जा रही है। इस बार शिक्षकों को दो सप्ताह की ही गर्मी छुट्टी मिल सकेगी। इस दौरान जो शिक्षक उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में लगे रहेंगे, उन्हें इसका क्षतिपूर्ति अवकाश बाद में दिया जाएगा। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग इसे निर्धारित करने की तैयारी कर रहा है। शिक्षकों को गर्मी की छुट्टी मई के तीसरे सप्ताह से मिल सकेगी।

प्रारंभिक स्कूलों में सातवीं तक के बच्चों की दो से 15 मई के बीच परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इसमें ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे जाएंगे। इसी के आधार पर बच्चों को अगली क्लास में भेजा जाएगा। 31 मार्च को भी तीसरी से सातवीं तक के बच्चों का स्कूलों में टेस्ट हुआ था। तीसरी-चौथी के बच्चों को उत्तरपुस्तिका देकर ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे गए थे, जबकि पांचवीं से सातवीं के बच्चों की पुरानी ओएमआर शीट पर परीक्षा ली गई थी। अभी भी इसकी कॉपियों का मूल्यांकन जारी है। टीजीटी रोस्टर अभी तक आठ जिलों से मिला है। 16 जिलों ने अभी तक यह नहीं दिया है। इसमें रांची, लोहरदगा, गढ़वा, लातेहार, बोकारो, धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग, देवघर, दुमका, गोड्डा, जमताड़ा, पाकुड़, पूर्वी सिंहभूम शामिल हैं। इन्हें अविलंब रोस्टर उपलब्ध कराने को कहा है।

मेधा छात्रवृत्ति के लिए आठवीं के बच्चों का जांच परीक्षा होगी। इस परीक्षा की तैयारी के लिए पूर्व के वर्षों में झारखंड एकेडमिक काउंसिल की ओर से ली गई परीक्षा के प्रश्नपत्र जैक के पोर्टल पर उपलब्ध कराया जा रहा है। जिला शिक्षा अधीक्षक इसे छात्र-छात्राओं तक उसे उपलब्ध कराएंगे, ताकि इसमें ज्यादा से ज्यादा छात्र-छात्रा शामिल हो सकेंगे।

एक दिन बिना पाठ्यपुस्तकों के होगी पढ़ाई

सरकारी स्कूलों में बैक टू स्कूल कैंपेन चलाया जा रहा है। इसमें सभी छात्र-छात्राओं का नामांकन सुनिश्चित कराया जा रहा है। साथ ही, बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित की जा रही है। स्कूलों में सप्ताह में एक दिन बिना पाठ्य पुस्तकों के ही छात्र-छात्राओं को पढ़ाना है। इसे कैसे संचालित करेंगे और इसकी क्या रूपरेखा होगी, सभी जिसे इसका कार्यक्रम तैयार कर उपलब्ध कराएंगे। इसके अलावा स्कूल से बाहर रह गए बच्चों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें गोड्डा, हजारीबाग और रांची के सर्वेक्षण का काम अपेक्षाकृत काफी कम हुआ है। इसमें जिलों को निर्देश दिया गया है कि जिन शिक्षकों द्वारा सर्वेक्षण का काम पूरा नहीं किया गया है उनका वेतन रोक दिया जाए।

धीमी गति से हो रहा स्पॉट टेस्ट

सरकारी स्कूल के बच्चों के स्पॉट टेस्ट की गति धीमी है। हर दिन बहुत ही कम स्पॉट टेस्ट हो रहा है। इस पर स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने असंतोष जताया है। जिलों से कहा गया है कि किसी बीआरपी-सीआरपी को कितने स्कूल आबंटित हैं और उसके अनुसार कितने स्पॉट किया जाना है व कितना किया जा रहा है, उसकी समीक्ष कर रिपोर्ट दें। जो बीआरपी-सीआरपी इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जाए।   

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