रांची, राज्य ब्यूरो। Para Teachers News पारा शिक्षकों के स्थायीकरण तथा वेतनमान को लेकर प्रस्तावित सेवाशर्त नियमावली का ड्राफ्ट सोमवार को उच्च स्तरीय कमेटी की समक्ष रखा जाएगा। शिक्षा मंत्री जगरनाथ
महतो की अध्यक्षता वाली इस कमेटी की बैठक में प्रस्तावित नियमावली के प्रविधानों पर चर्चा होगी तथा राज्य में उसे लागू करने पर विचार किया जाएगा। इस बैठक में विकास आयुक्त, वित्त सचिव, कार्मिक सचिव, शिक्षा सचिव आदि शामिल होंगे। इसी सप्ताह नियमावली के ड्राफ्ट को पारा शिक्षकों के प्रतिनिधियों के समक्ष रखा जाएगा। बता दें कि एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने 14 नवंबर तक स्थायीकरण व वेतनमान की घोषणा नहीं होने पर राज्य स्थापना दिवस समारोह का विरोध करने का निर्णय लिया है।बोले सुदेश, भाषा और संस्कृति को बचाना बड़ी चुनौती
आजसू के केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो ने कहा है कि भाषा, संस्कृति और परंपराओं को बचाना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। बदलते हुए परिवेश में युवा पीढ़ी की बड़ी जिम्मेदारी संस्कृति के संरक्षण एवं परंपराओं को आगे बढ़ाने की है। सुदेश ने ये बातें सोमवार को ओडिशा के मयूरभंज स्थित धनघेरी में बांदना परब के उपलक्ष्य में कुड़मी सेना द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि विरासत में मिले समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के रुप में हम बांदना पर्व को मनाते हैं। बांदना परब हमारी समृद्ध संस्कृति का द्योतक है। उन्होंने कुड़मी सेना द्वारा आयोजित कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि वर्षों से कुड़मी सेना द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न समुदाय और खास करके कुड़मी समुदाय के लाखों लोगों की जुटान होती आ रही है।
पेट्रोल-डीजल के दाम पर राजनीति तेज
पूरे देश में महंगाई से लड़ाई के लिए तैयारियां चल रही हैं और इसमें राज्य सरकारों की अहम भूमिका रही है। केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि आम लोगों की आवाजाही से लेकर सामग्रियों को ढोने तक में खर्च को कम किया जा सके और इसके माध्यम से उपभोक्ता सामग्रियों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। कई राज्यों ने इसके साथ ही अपने-अपने स्तर से वैट में कमी लाकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में और कमी लाने की कोशिश की है। इससे धीरे-धीरे महंगाई पर भी नियंत्रण की संभावनाएं प्रबल हो रही हैं।
झारखंड में फिलहाल राज्य सरकार की ओर से वैट कम करने को लेकर कोई ठोस पहल होती नहीं दिख रही है। हालांकि पेट्रोलियम डीलर्स इस बात की संभावना जता रहे हैं कि आनेवाले दिनों में इन उत्पादों की कीमतें कम ही होंगी। ऐसे भी अगल-बगल के राज्यों से झारखंड में वैट कम लगाया जा रहा है। इसके बावजूद डीजल की कीमत झारखंड में पश्चिम बंगाल और यहां तक कि उत्तर प्रदेश से भी अधिक है। पिछले कुछ दिनों से झारखंड में पेट्रोलियम उत्पादों की की बिक्री में कमी आई है और इसका फलाफल यह रहा है कि राज्य सरकार को वैट के माध्यम से मिलनेवाले राजस्व में कमी देखी जा रही है।
सरकार के लिए यह चिंता का विषय है। पूरे प्रकरण में कहीं ना कहीं राजनीतिक गतिविधियां भी बढ़ती दिख रही हैं और सत्ता पक्ष एवं विपक्ष अपने-अपने स्तर से इस मुद्दे पर राजनीति भी कर रही है। झारखंड में इन उत्पादों की कीमतों में कमी का आधार राजनीति की दशा-दिशा से तय होगी। वित्त मंत्री ने हालांकि कीमतें कम किए जाने के संकेत दिए हैं लेकिन इसको लेकर कोई निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है। यह फैसला कैबिनेट की बैठक में ही हो सकेगा और यह बैठक छठ के बाद ही होने की संभावना है। देश में कई राज्यों में अलग से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लोगों को राहत दी गई है और सरकार की लोकप्रियता ऐसे फैसलों से बढ़ती है। माना जा रहा है कि आनेवाले दिनों में इस तरह के फैसले झारखंड में भी लिए जा सकते हैं।
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