रांची: झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति
परीक्षा में एेच्छिक विषय की अनिवार्यता समाप्त करते हुए नये सिरे से
विज्ञापन जारी करने का आग्रह किया है. श्री मरांडी ने इससे संबंधित पत्र
मुख्यमंत्री रघुवर दास को लिखा है. उन्होंने कहा है कि राज्य के निर्माण के
17 वर्षों में पहली बार उच्च विद्यालय में रिक्त पदों को भरने के लिए बड़ी
संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है.
इतनी बड़ी संख्या में होनेवाली नियुक्ति से राज्य के प्रशिक्षित बेरोजगार युवकों में उम्मीद जगी है. लेकिन शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन में व्याप्त त्रुटियों के कारण झारखंड से स्नातक प्रतिष्ठा इतिहास व रसायनशास्त्र विषय के हजारों अभ्यार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हो पायेंगे. श्री मरांडी ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि शिक्षकों, कर्मचारियों व पुलिस समेत अन्य पदों पर नियुक्ति के लिए निकाले गये विज्ञापन में कई बार संशोधन की अधिसूचना निर्गत की जाती रही है.
कार्मिक राज्य के सभी विभागों में खाली पड़े विभिन्न कोटि के पदों को भरने के लिए प्रतियोगिता परीक्षा के लिए वांछित अर्हता तय करता है, लेकिन कई तकनीकी पहलू अनछुए रह जाते हैं. इस वजह से कई बार शुद्धि पत्र निकालना पड़ता है. अभी भी हाइस्कूल में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया गया है. 29 अक्तूबर से परीक्षा शुरू होनेवाली है.
इसमें विषयवार शिक्षकों के अर्हता तय करते समय बड़ी भूल हुई है. इतिहास प्रतिष्ठा में एच्छिक विषय के तौर पर राजनीतिशास्त्र अनिवार्य कर दिया गया है. इस वजह से झारखंड के हजारों छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हो पायेंगे. राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के सिलेबस में इतिहास (प्रतिष्ठा) के साथ कई एच्छिक विषय रखे जाते हैं. एक ही विषय को अनिवार्य करना झारखंडी छात्रों के साथ धोखा है. छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए एच्छिक विषयों की अनिवार्यता समाप्त की जानी चाहिए.
No comments:
Post a Comment