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एक ही सेवा शर्त से नियुक्त शिक्षकों की पेंशन अलग-अलग

 शिक्षक नियुक्ति के एक ही विज्ञापन से बहाली हुई। सेवा शर्तें भी समान रहीं, लेकिन जिले के कुछ शिक्षकों को सेवा काल का समान लाभ नहीं मिल पा रहा है। इन शिक्षकों में कुछ को तो पुरानी पेंशन स्कीम में शामिल किया गया है, लेकिन इन्हीं में से कई को नई पेंशन स्कीम का हिस्सा बना दिया गया। इस मामले को अब झामुमो के विधायक समीर महांती ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष उठाया है। विधायक ने मुख्यमंत्री को बताया कि पूर्वी सिंहभूम समेत परे प्रदेश के 1700 से अधिक शिक्षक पेंशन के मामले में इनके साथ अपनाई गई दोहरी नीति के शिकार हो गए। ऐसे शिक्षकों में अब असंतोष है।
जानकारी के अनुसार, झारखंड प्रारंभिक शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2002 के आधार पर झारखंड लोक सेवा आयोग रांची की ओर से राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति हेतु वर्ष 2002 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। नियुक्ति के लिए परीक्षा का आयोजन भी किया गया। इसके बाद नियुक्ति हेतु परीक्षा फल का प्रकाशन 2003 में किया गया। लेकिन विज्ञापन में घोषित सारे पदों पर उस समय एक साथ नियुक्त नहीं हो सकी। इसके कारण विज्ञापन में उल्लेखित रिक्तियों की बची सीटों के विरुद्ध झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से सुयोग्य अभ्यर्थियों की प्रतीक्षा सूची बनाई गई, जिन्हें नियुक्त करने के लिए वर्ष 2005 में अनुशंसा विभाग को उपलब्ध कराई गई। इस अनुशंसा के आधार पर वर्ष 2005-2006 में लगभग शिक्षकों की नियुक्ति हुई। तकनीकी पेच इसमें यह फंसा कि झारखंड में एक सितंबर 2004 को नई पेंशन योजना लागू हो गई। इसके कारण विज्ञापन से अलग-अलग नियुक्ति वर्ष में नियुक्त शिक्षकों में कुछ शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना तथा कुछ शिक्षकों को अंशदाई पेंशन योजना से आच्छादित कर विसंगति उत्पन्न कर दी गई। यह विसंगति आज तक शिक्षकों को झेलनी पड़ रही है।

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