राज्य सरकार पारा शिक्षकों के फर्जी प्रमाण-पत्रों की जांच को लेकर गंभीर
है, मगर इसमें कई जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसई) सहयोग नहीं कर रहे
हैं। सरकार की ओर से भेजे गए एक दर्जन पत्रों के बाद भी कई जिलों के डीएसई
अपने जिले में पारा शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की जांच कर पूर्ण प्रतिवेदन
उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।
झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से पारा शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की जांच और इससे संबंधित प्रतिवेदन के लिए कई बार पत्र भी लिखा गया है। अब राज्य परियोजना पदाधिकारी मुकेश कुमार ने 11 अप्रैल 2017 को इससे संबंधित पत्र सभी जिलाें के डीएसई को लिखा है। इसमें पारा शिक्षकों के शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की जांच से संबंधित अद्यतन प्रतिवेदन 7 दिन में उपलब्ध कराने को कहा है। इतने पत्र भेजने के बाद भी प्रतिवेदन देने वाले सात डीएसई को शोकॉज भी किया गया है। जवाब नहीं देने वाले डीएसई के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। बताते चलें कि राज्य में करीब 70 हजार पारा शिक्षक हैं। कई जिलों से हजारों पारा शिक्षकों के प्रमाण-पत्र फर्जी होने की रिपोर्ट और शिकायतें राज्य सरकार को मिली हैं।
पूर्ण प्रतिवेदन की मांग की जा रही, कुछ जिलों से आया है
कईजिलों से प्रतिवेदन आया है। हालांकि अभी भी पूर्ण प्रतिवेदन की मांग की जा रही है। ताकि यह पता चल सके कि जिलों में जांच का काम पूरा हुअा है या नहीं। इसी संबंध में पत्र जिला शिक्षा अधीक्षकों को भेजा गया है। मुकेशसिन्हा, प्रशासी पदाधिकारी, झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद
11 अप्रैल को राज्य परियोजना आयुक्त मुकेश कुमार ने जो पत्र सभी डीएसई को भेजा है, उसमें लिखा है कि राज्य के जिलों में कार्यरत पारा शिक्षकों के शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की जांच से संबंधित अद्यतन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के लिए कई बार स्मार पत्र भेजा गया है। इसके अलावा कई बैठकों में विभागीय सचिव की ओर से भी इस दिशा में त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया। मगर जिलों द्वारा अब तक पूर्ण प्रतिवेदन नहीं दिया गया है, यह अत्यंत खेद का विषय है। इसे विभाग ने गंभीरता से लिया है। ऐसे में पूर्ण प्रतिवेदन राज्य परियोजना कार्यालय में सात दिन के अंदर जारी प्रोफॉर्मा में उपलब्ध कराया जाए। ऐसा नहीं किए जाने की स्थिति में संबंधित डीएसई के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
साहेबगंज जिले में जांच के दौरान 37 पारा शिक्षकों के प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए। जिले में कुल 2574 पारा शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की जांच के लिए संबंधित बोर्ड और यूनिवर्सिटी को भेजे गए थे। जांच के दौरान कई चरणों में प्रमाण-पत्रों की पुष्टि हो रही है। इससे पहले जांच में संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालय से 37 फर्जी शिक्षकों के प्रमाण-पत्र फर्जी निकले। इन सभी शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त कर दिया गया। इसी तरह बेंगाबाद में भी फर्जी प्रमाण-पत्रों पर नौकरी करने वाले पारा शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। बीईईओ के आवेदन के आधार पर कांड संख्या 257/16 में बसमता के बिरेन्द्र कुमार त्रिवेदी, धोबनी के कार्तिक, दास, सिमराढाब के विनोद कुमार यादव, कोल्हासिंगा के प्रदीप कुमार, बुढियाढाको के कैलाश प्रसाद साव, बडियाबाद की बबीता कुमारी और ओझाडीह विद्यालय के पंचानन प्रसाद यादव पर मुकदमा हुआ। इसके अलावा गिरिडीह के गावां प्रखंड में 14 पारा शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण-पत्र भी जांच में फर्जी पाए गए। इनके खिलाफ शनिवार को गावां थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में वर्षों से कार्यरत 14 पारा शिक्षकों के खिलाफ मिली शिकायत पर शिक्षा विभाग की आेर से उनके शैक्षणिक प्रमाण-पत्र की जांच कराई गई थी। जांच में इनके प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए थे। इन पर डीएसई कार्यालय के पत्रांक-1494 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इन शिक्षकों द्वारा उठाए गए मानदेय की राशि भी जमा करने का आदेश दिया गया है। जानकारों के अनुसार बैकडोर से कई अयोग्य लोगों को पारा शिक्षक बनाया गया है। अगर सही तरीके से जांच हो जाए तो आधे से ज्यादा बाहर हो जाएंगे।
डीएसई को कब-कब भेजे गए परिषद की ओर से पत्र
झारखंडशिक्षा परियोजना परिषद की ओर से पारा शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की जांच से संबंधित प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के लिए करीब एक दर्जन से अधिक पत्र सभी जिलाें के डीएसई को लिखे गए। लेकिन इसके बाद भी जिलों से प्रतिवेदन नहीं भेजा गया। पहला पत्र 28.09.2010 (पत्रांक 1710) को लिखा गया। इसके बाद 3 सितंबर 2011 (पत्रांक 533), 9 जुलाई 2015 (पत्रांक 1347), 19 अक्टूबर 2015 (पत्रांक 2083), 28 अक्टूबर 2015 (पत्रांक 2124), 20 अक्टूबर 2015 (पत्रांक 2272), 14 दिसंबर 2015 (पत्रांक 2401), 6 जनवरी 2016 (पत्रांक 37) और 10 नवंबर 2016 (पत्रांक 1890) लिखे गए। हालांकि, इतने पत्रों के बाद भी जिला शिक्षा अधीक्षकों ने ठोस कार्रवाई नहीं की।
राज्यभर के फर्जी पारा शिक्षकों को कई जिलों के डीएसई ही बचाने में जुटे हैं। डायरेक्ट मदद करके ये डीएसई जांच में सरकार का सहयोग नहीं कर रहे हैं।
झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से पारा शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की जांच और इससे संबंधित प्रतिवेदन के लिए कई बार पत्र भी लिखा गया है। अब राज्य परियोजना पदाधिकारी मुकेश कुमार ने 11 अप्रैल 2017 को इससे संबंधित पत्र सभी जिलाें के डीएसई को लिखा है। इसमें पारा शिक्षकों के शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की जांच से संबंधित अद्यतन प्रतिवेदन 7 दिन में उपलब्ध कराने को कहा है। इतने पत्र भेजने के बाद भी प्रतिवेदन देने वाले सात डीएसई को शोकॉज भी किया गया है। जवाब नहीं देने वाले डीएसई के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। बताते चलें कि राज्य में करीब 70 हजार पारा शिक्षक हैं। कई जिलों से हजारों पारा शिक्षकों के प्रमाण-पत्र फर्जी होने की रिपोर्ट और शिकायतें राज्य सरकार को मिली हैं।
पूर्ण प्रतिवेदन की मांग की जा रही, कुछ जिलों से आया है
कईजिलों से प्रतिवेदन आया है। हालांकि अभी भी पूर्ण प्रतिवेदन की मांग की जा रही है। ताकि यह पता चल सके कि जिलों में जांच का काम पूरा हुअा है या नहीं। इसी संबंध में पत्र जिला शिक्षा अधीक्षकों को भेजा गया है। मुकेशसिन्हा, प्रशासी पदाधिकारी, झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद
11 अप्रैल को राज्य परियोजना आयुक्त मुकेश कुमार ने जो पत्र सभी डीएसई को भेजा है, उसमें लिखा है कि राज्य के जिलों में कार्यरत पारा शिक्षकों के शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की जांच से संबंधित अद्यतन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के लिए कई बार स्मार पत्र भेजा गया है। इसके अलावा कई बैठकों में विभागीय सचिव की ओर से भी इस दिशा में त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया। मगर जिलों द्वारा अब तक पूर्ण प्रतिवेदन नहीं दिया गया है, यह अत्यंत खेद का विषय है। इसे विभाग ने गंभीरता से लिया है। ऐसे में पूर्ण प्रतिवेदन राज्य परियोजना कार्यालय में सात दिन के अंदर जारी प्रोफॉर्मा में उपलब्ध कराया जाए। ऐसा नहीं किए जाने की स्थिति में संबंधित डीएसई के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
साहेबगंज जिले में जांच के दौरान 37 पारा शिक्षकों के प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए। जिले में कुल 2574 पारा शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की जांच के लिए संबंधित बोर्ड और यूनिवर्सिटी को भेजे गए थे। जांच के दौरान कई चरणों में प्रमाण-पत्रों की पुष्टि हो रही है। इससे पहले जांच में संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालय से 37 फर्जी शिक्षकों के प्रमाण-पत्र फर्जी निकले। इन सभी शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त कर दिया गया। इसी तरह बेंगाबाद में भी फर्जी प्रमाण-पत्रों पर नौकरी करने वाले पारा शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। बीईईओ के आवेदन के आधार पर कांड संख्या 257/16 में बसमता के बिरेन्द्र कुमार त्रिवेदी, धोबनी के कार्तिक, दास, सिमराढाब के विनोद कुमार यादव, कोल्हासिंगा के प्रदीप कुमार, बुढियाढाको के कैलाश प्रसाद साव, बडियाबाद की बबीता कुमारी और ओझाडीह विद्यालय के पंचानन प्रसाद यादव पर मुकदमा हुआ। इसके अलावा गिरिडीह के गावां प्रखंड में 14 पारा शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण-पत्र भी जांच में फर्जी पाए गए। इनके खिलाफ शनिवार को गावां थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में वर्षों से कार्यरत 14 पारा शिक्षकों के खिलाफ मिली शिकायत पर शिक्षा विभाग की आेर से उनके शैक्षणिक प्रमाण-पत्र की जांच कराई गई थी। जांच में इनके प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए थे। इन पर डीएसई कार्यालय के पत्रांक-1494 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इन शिक्षकों द्वारा उठाए गए मानदेय की राशि भी जमा करने का आदेश दिया गया है। जानकारों के अनुसार बैकडोर से कई अयोग्य लोगों को पारा शिक्षक बनाया गया है। अगर सही तरीके से जांच हो जाए तो आधे से ज्यादा बाहर हो जाएंगे।
डीएसई को कब-कब भेजे गए परिषद की ओर से पत्र
झारखंडशिक्षा परियोजना परिषद की ओर से पारा शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की जांच से संबंधित प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के लिए करीब एक दर्जन से अधिक पत्र सभी जिलाें के डीएसई को लिखे गए। लेकिन इसके बाद भी जिलों से प्रतिवेदन नहीं भेजा गया। पहला पत्र 28.09.2010 (पत्रांक 1710) को लिखा गया। इसके बाद 3 सितंबर 2011 (पत्रांक 533), 9 जुलाई 2015 (पत्रांक 1347), 19 अक्टूबर 2015 (पत्रांक 2083), 28 अक्टूबर 2015 (पत्रांक 2124), 20 अक्टूबर 2015 (पत्रांक 2272), 14 दिसंबर 2015 (पत्रांक 2401), 6 जनवरी 2016 (पत्रांक 37) और 10 नवंबर 2016 (पत्रांक 1890) लिखे गए। हालांकि, इतने पत्रों के बाद भी जिला शिक्षा अधीक्षकों ने ठोस कार्रवाई नहीं की।
राज्यभर के फर्जी पारा शिक्षकों को कई जिलों के डीएसई ही बचाने में जुटे हैं। डायरेक्ट मदद करके ये डीएसई जांच में सरकार का सहयोग नहीं कर रहे हैं।
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