झारखंडकी उच्च शिक्षा के विकास में राष्ट्रीय उच्चत्तर शिक्षा अभियान
(रूसा) की भूमिका पर गुरुवार को गिरिडीह कॉलेज गिरिडीह के सभाकक्ष में
राज्यस्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र में उद्घाटन वक्तव्य
गिरिडीह कॉलेज के पूर्व प्राचार्य सह वर्तमान में आदर्श कॉलेज राजधनवार के
प्राचार्य डॉ. अली इमाम खान ने रखी।
उन्होंने कहा कि झारखंड के प्रत्येक महाविद्यालय में छात्रों की संख्या के अनुसार विषयवार प्राध्यापकों की कमी है, ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कैसे उम्मीद की जा सकती है। हम शिक्षकों के सामने चुनौती है कि उच्चतर शिक्षा को कैसे सुदृढ़ किया जाए। कहा शिक्षकों की सामाजिक जिम्मेदारी है, जिसे पूरी करनी है। फिलहाल यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) फंडिंग एजेंसी है। वहीं रूसा की भूमिका फंड के माध्यम से आधारभूत संरचना को मजबूत करना है। नई शैक्षणिक संस्थानों को खोलना है। फिलहाल मॉडल कॉलेज, मॉडल स्कूल खोले जा रहे हैं। लेकिन मॉडल टीचर को लेकर सरकार सचेष्टता नहीं दिखा रही है। एशिया,अफ्रीका के कुछ देशों में आर्टिफिसिएल इंटेलीजेंस की भूमिका रॉबोट ले रहे हैं। सूचना तकनीक का जमाना है। इंटरनेट के माध्यम से भी छात्र-शिक्षक बहुत सारी जानकारियां हासिल कर सकते हैं। बशर्ते शिक्षक ईमानदारी से भूमिका निभाएं।
कहा भारत शक्तिशाली राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है। शिक्षा के माध्यम से ही सामाजिक कुरीतियां, रूढ़ियां टूटेंगी। प्राचार्य खान ने कहा कि रॉल मॉडल के रूप में शिक्षक स्वयं को स्थापित करेंगे तो छात्र भी उन्हें अपनाने की कोशिश करेंगे। इसे आज समझने की जरूरत है।
निजी कॉलेजों की भूमिका अहम
मुख्यवक्ता के तौर पर बोलते मधुपुर कॉलेज के डॉ. एनसी झा ने कहा कि यूजीसी के मापदंड का अनुकरण करने वाले निजी कॉलेजों को भी संसाधन एवं सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। डॉ. झा ने कहा रूसा का मूलमंत्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है। ईएसआई गिरिडीह के केंद्र प्रभारी डॉ. एचसी बेहरा ने कहा कि राष्ट्रीय उच्चत्तर शिक्षा अभियान की सफलता के लिए क्वालिटी, क्वांटिटी, रिमाइंडर की जरूरत है। कहा वे स्टूडेंट, स्टाफ को दोष नहीं देते। कहा शिक्षा-प्रशिक्षण का पूरक है। उनके नजरिए से झारखंड में शिक्षा का विकास आइएसएम धनबाद, एनआईटी जमेशदपुर, आरयू, आईआईएम रांची में हुआ है। लोगों के जीविकोपार्जन का विश्लेषण करने की जरूरत है। शिक्षा का विकास रियल स्टेज होल्डर के माध्यम से ही हो सकता है।
सेमिनारमें इनकी रही भागीदारी
विषयप्रवेश डॉ. समीर सरकार ने किया। अध्यक्षीय उद्बोधन प्राचार्य डॉ. अशोक, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रविकृष्ण एवं मंच संचालन डॉ. बलभद्र सिंह ने की। वहीं द्वितीय सत्र में रजनी कुमारी, बालेंदुशेखर त्रिपाठी, प्रो. मिथिलेश कुमार, डॉ. धनेश्वर रजक, विपुल कुमार, नईमुद्दीन राही ने संबोधित किया। मंच संचालन नीतेश कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रजनीश कुमार ने की।
उन्होंने कहा कि झारखंड के प्रत्येक महाविद्यालय में छात्रों की संख्या के अनुसार विषयवार प्राध्यापकों की कमी है, ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कैसे उम्मीद की जा सकती है। हम शिक्षकों के सामने चुनौती है कि उच्चतर शिक्षा को कैसे सुदृढ़ किया जाए। कहा शिक्षकों की सामाजिक जिम्मेदारी है, जिसे पूरी करनी है। फिलहाल यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) फंडिंग एजेंसी है। वहीं रूसा की भूमिका फंड के माध्यम से आधारभूत संरचना को मजबूत करना है। नई शैक्षणिक संस्थानों को खोलना है। फिलहाल मॉडल कॉलेज, मॉडल स्कूल खोले जा रहे हैं। लेकिन मॉडल टीचर को लेकर सरकार सचेष्टता नहीं दिखा रही है। एशिया,अफ्रीका के कुछ देशों में आर्टिफिसिएल इंटेलीजेंस की भूमिका रॉबोट ले रहे हैं। सूचना तकनीक का जमाना है। इंटरनेट के माध्यम से भी छात्र-शिक्षक बहुत सारी जानकारियां हासिल कर सकते हैं। बशर्ते शिक्षक ईमानदारी से भूमिका निभाएं।
कहा भारत शक्तिशाली राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है। शिक्षा के माध्यम से ही सामाजिक कुरीतियां, रूढ़ियां टूटेंगी। प्राचार्य खान ने कहा कि रॉल मॉडल के रूप में शिक्षक स्वयं को स्थापित करेंगे तो छात्र भी उन्हें अपनाने की कोशिश करेंगे। इसे आज समझने की जरूरत है।
निजी कॉलेजों की भूमिका अहम
मुख्यवक्ता के तौर पर बोलते मधुपुर कॉलेज के डॉ. एनसी झा ने कहा कि यूजीसी के मापदंड का अनुकरण करने वाले निजी कॉलेजों को भी संसाधन एवं सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। डॉ. झा ने कहा रूसा का मूलमंत्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है। ईएसआई गिरिडीह के केंद्र प्रभारी डॉ. एचसी बेहरा ने कहा कि राष्ट्रीय उच्चत्तर शिक्षा अभियान की सफलता के लिए क्वालिटी, क्वांटिटी, रिमाइंडर की जरूरत है। कहा वे स्टूडेंट, स्टाफ को दोष नहीं देते। कहा शिक्षा-प्रशिक्षण का पूरक है। उनके नजरिए से झारखंड में शिक्षा का विकास आइएसएम धनबाद, एनआईटी जमेशदपुर, आरयू, आईआईएम रांची में हुआ है। लोगों के जीविकोपार्जन का विश्लेषण करने की जरूरत है। शिक्षा का विकास रियल स्टेज होल्डर के माध्यम से ही हो सकता है।
सेमिनारमें इनकी रही भागीदारी
विषयप्रवेश डॉ. समीर सरकार ने किया। अध्यक्षीय उद्बोधन प्राचार्य डॉ. अशोक, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रविकृष्ण एवं मंच संचालन डॉ. बलभद्र सिंह ने की। वहीं द्वितीय सत्र में रजनी कुमारी, बालेंदुशेखर त्रिपाठी, प्रो. मिथिलेश कुमार, डॉ. धनेश्वर रजक, विपुल कुमार, नईमुद्दीन राही ने संबोधित किया। मंच संचालन नीतेश कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रजनीश कुमार ने की।
No comments:
Post a Comment