जामताड़ा : हर मीटिंग में शिक्षकों को अपने वरीय अधिकारियों से सख्त
हिदायत मिलती है कि वे स्कूल के विकास मद से बायोमैट्रिक मशीन लगाएं पर इसे
अब तक अनसुना ही किया ही जा रहा है। इसी का नतीजा है कि कई हाई स्कूलों
में अब तक उपस्थिति दर्ज कराने की यह मशीन नहीं लगाई है।
शिक्षक खुद की मौज के लिए विभागीय फरमानों को ठेंगा दिखा रहे हैं। ऊपर से विभागीय अधिकारी भी है कि वे केवल निर्देश जारी कर अपने दायित्वों का इतिश्री मान ले रहे हैं। ऐसे में स्कूलों में संबंधित शिक्षकों की कोई समयबद्धता नहीं रह रही है।
जानकारी के मुताबिक सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों की उपस्थिति पर तीसरी नजर रखने के लिए बायोमैट्रिक मशीन लगवाने के आदेश राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए थे। मगर अब तक सरकारी हाई स्कूलों में न तो मशीन लगाने की तैयारी शुरू की गई और न ही उसे लगाने के लिए जिले के सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यो ने इच्छा ही जताई है। यही कारण है कि शिक्षकों की झूठी उपस्थिति दिखाने का खेल बदस्तूर तरीके से जारी है।
--बिजली नहीं रहने का बहाना : बायोमैट्रिक नहीं लगाने के लिए शिक्षक कई बहाने बाजी बना रहें है। अधिकतर शिक्षकों का कहना है कि अभी तक विद्यालय में बिजली व्यवस्था नहीं हो पायी है जिस कारण से बायोमैट्रिक नहीं लगा पाएं हैं। जहां लग पाया है वहां नेट सुविधा उपलब्ध नहीं है, उसका बहाना बनाया जा रहा है। अब देखना ये है कि कब तक जिले के में बायोमैट्रिक सिस्टम सभी संबंधित स्कूलों में काम करने लगेगा।
--तीन फेज में लगनी थी बायोमैट्रिक : प्रथम फेज में जिले के सभी हाई स्कूल और कॉलेज में बायोमैट्रिक लगनी था। जिले में कुल 68 हाई स्कूल हैं जिसमें से 47 हाई स्कूल में बायोमेट्रिक लग चुकी है। शेष 20 हाई स्कूल में अब भी नहीं लग पायी। दूसरे फेज में प्राथमिक और मध्य विद्यालय में यह सुविधा करनी है। तीसरे फेज में शेष स्कूलों में मशीन लगानी है। यह भी बताया गया कि शिक्षक से लेकर चपरासी तक का वेतन भुगतान बायोमैट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही होना है। लेकिन अब भी रजिस्टर पर उपस्थिति दर्ज हो रही है। उसी उपस्थिति को देख विभाग शिक्षकों को वेतन का भुगतान कर रही है।
--क्या कहते हैं अधिकारी : जिला शिक्षा अधीक्षक अभय शंकर ने कहा की सभी विद्यालय के शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने स्कूल के विकास मद के फंड से बायोमैट्रिक लगाएं। कई जगहों पर बायोमैट्रिक मशीन लगी भी है। जिस विद्यालय में मशीन नहीं लगी उस विद्यालय के शिक्षक को निर्देश दिया गया है कि जल्द ही अपने विद्यालय में बायोमैट्रिक लगाएं। लापरवाही पर अब संबंधित हाई स्कूलों के खिलाफ सख्ती बरती जाएगी।
शिक्षक खुद की मौज के लिए विभागीय फरमानों को ठेंगा दिखा रहे हैं। ऊपर से विभागीय अधिकारी भी है कि वे केवल निर्देश जारी कर अपने दायित्वों का इतिश्री मान ले रहे हैं। ऐसे में स्कूलों में संबंधित शिक्षकों की कोई समयबद्धता नहीं रह रही है।
जानकारी के मुताबिक सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों की उपस्थिति पर तीसरी नजर रखने के लिए बायोमैट्रिक मशीन लगवाने के आदेश राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए थे। मगर अब तक सरकारी हाई स्कूलों में न तो मशीन लगाने की तैयारी शुरू की गई और न ही उसे लगाने के लिए जिले के सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यो ने इच्छा ही जताई है। यही कारण है कि शिक्षकों की झूठी उपस्थिति दिखाने का खेल बदस्तूर तरीके से जारी है।
--बिजली नहीं रहने का बहाना : बायोमैट्रिक नहीं लगाने के लिए शिक्षक कई बहाने बाजी बना रहें है। अधिकतर शिक्षकों का कहना है कि अभी तक विद्यालय में बिजली व्यवस्था नहीं हो पायी है जिस कारण से बायोमैट्रिक नहीं लगा पाएं हैं। जहां लग पाया है वहां नेट सुविधा उपलब्ध नहीं है, उसका बहाना बनाया जा रहा है। अब देखना ये है कि कब तक जिले के में बायोमैट्रिक सिस्टम सभी संबंधित स्कूलों में काम करने लगेगा।
--तीन फेज में लगनी थी बायोमैट्रिक : प्रथम फेज में जिले के सभी हाई स्कूल और कॉलेज में बायोमैट्रिक लगनी था। जिले में कुल 68 हाई स्कूल हैं जिसमें से 47 हाई स्कूल में बायोमेट्रिक लग चुकी है। शेष 20 हाई स्कूल में अब भी नहीं लग पायी। दूसरे फेज में प्राथमिक और मध्य विद्यालय में यह सुविधा करनी है। तीसरे फेज में शेष स्कूलों में मशीन लगानी है। यह भी बताया गया कि शिक्षक से लेकर चपरासी तक का वेतन भुगतान बायोमैट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही होना है। लेकिन अब भी रजिस्टर पर उपस्थिति दर्ज हो रही है। उसी उपस्थिति को देख विभाग शिक्षकों को वेतन का भुगतान कर रही है।
--क्या कहते हैं अधिकारी : जिला शिक्षा अधीक्षक अभय शंकर ने कहा की सभी विद्यालय के शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने स्कूल के विकास मद के फंड से बायोमैट्रिक लगाएं। कई जगहों पर बायोमैट्रिक मशीन लगी भी है। जिस विद्यालय में मशीन नहीं लगी उस विद्यालय के शिक्षक को निर्देश दिया गया है कि जल्द ही अपने विद्यालय में बायोमैट्रिक लगाएं। लापरवाही पर अब संबंधित हाई स्कूलों के खिलाफ सख्ती बरती जाएगी।
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