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38 दिन बाद बीआरपी-सीआरपी की हड़ताल बिना शर्त हुई समाप्त

बीआरपी-सीआरपीकी 38 दिनों से चल रही हड़ताल बुधवार को झारखंड शिक्षा परियोजना के निदेशक मुकेश कुमार बातचीत के बाद बिना शर्त समाप्त करने की घोषणा कर दी गई। निदेशक ने बीआरपी-सीआरपी की मांगों पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।
बीआरपी सीआरपी का समायोजन, ईपीएफ में कटौती, अर्जित अवकाश ईएल, ग्रुप बीमा देने की मांग का अध्ययन करने के लिए हाई लेबल कमेटी गठित की जाएगी। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार निर्णय लेगी। शिक्षाकर्मियों को मॉनिटरिंग मद में भत्ता देने के लिए भी एक कमेटी की जाएगी। परियोजना निदेशक ने हड़ताल से वापस लौटे शिक्षाकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई को स्थगित करने के संबंध में सभी जिला के उपायुक्तों और डीएसई को पत्र जारी कर दिया गया है। गौरतलब है कि बीआरपी-सीआरपी 19 सितंबर को हड़ताल पर चले गए थे। सरकार ने 21 सितंबर तक हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद योगदान नहीं देने पर बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू की गई थी। पूर्वी सिंहभूम में हड़ताली कर्मचारियों को बर्खास्त भी कर दिया गया था। इससे पहले बुधवार की सुबह पारा शिक्षकों सीआरपी ने जुबिली तालाब परिसर में अलग-अलग बैठक की। बैठक के बाद हड़ताली सीआरपी पारा शिक्षक भिक्षाटन में शामिल होने के लिए रांची गए। पारा शिक्षक संघ के कार्यकारी जिलाध्यक्ष विजय प्रताप की अध्यक्षता में हुई थी।

बैठक करते हड़ताली पारा शिक्षक सीआरपी।

संघ के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि पारा शिक्षकों की बरखास्तगी संभव नहीं है। ग्राम शिक्षा समिति हमारी अपनी है और वह भी इस हड़ताल को समर्थन दे रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा अधिकार कानून के तहत 1 अप्रैल 2010 के बाद किसी भी शिक्षक की नियुक्ति बिना प्रशिक्षण टेट पास नहीं हो सकता है। साथ ही मानदेय के आधार पर शिक्षकों को बहाल नहीं किया जा सकता है। ऐसे में हड़ताली पारा शिक्षकों को बरखास्त करना इतना आसान नहीं होगा।

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