झारखंड में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अस्थायी शिक्षकों को भी वेतनमान देने की हो रही तैयारी - The JKND Teachers Blog - झारखंड - शिक्षकों का ब्लॉग

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Friday 12 November 2021

झारखंड में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अस्थायी शिक्षकों को भी वेतनमान देने की हो रही तैयारी

 रांची, प्रदीप शुक्ला। Jharkhand Para Teacher Salary कई वर्षो से स्थायीकरण और वेतनमान को लेकर आंदोलित राज्य के 65 हजार पारा शिक्षकों (शिक्षा मित्र) का मामला इस बार सुलझता दिख रहा है। गठबंधन सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने जिस तरह इस मामले के प्रति सक्रियता दिखाई है, उससे पारा शिक्षकों में यह उम्मीद जगी है कि 29 दिसंबर को सरकार के दो वर्ष पूरे होने के मौके पर उनके लिए कोई बड़ी घोषणा हो सकती है।


कोविड महामारी के चलते बच्चों के सामने पठन-पाठन का संकट पैदा होने के बाद मौजूदा समय में सबसे बड़ी चिंता यही है कि जो बच्चे स्कूल लौटेंगे, अब उनके सीखने-समझने का स्तर क्या होगा? उनके पढ़ने-लिखने के रूटीन और आदत में आई ढिलाई के कारण शिक्षकों के सामने पढ़ाई को पहले की तरह नियमित करने की दोहरी चुनौती आने वाली है। बच्चों को कक्षा के अनुकूल तैयार करने के लिए उन्हें अतिरिक्त मेहतन करनी होगी। इस स्थिति में अगर वह अपनी ही मांगों को लेकर सरकार से लड़ते-उलझते रहे तो शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

बच्चों के साथ ही पूरी स्कूली शिक्षा के समक्ष पैदा हुए संकट को गहराई से समझने की जरूरत है। कई सर्वे में यह बात सामने आ चुकी है कि झारखंड में स्मार्टफोन और इंटरनेट की समस्या के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के 75 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे ठीक से पढ़ाई नहीं कर सके हैं। वैसे तो शिक्षकों की भूमिका हमेशा ही चुनौतीपूर्ण रहती है, लेकिन अभी हालात और भी विषम हैं। ऐसे में शिक्षकों से जुड़े विवादों को उच्च प्राथमिकता से हल किए जाने की जरूरत है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत कार्यरत इन पारा शिक्षकों की मांगें प्राय: सभी सरकारें कमोबेश मानती रही हैं, लेकिन कभी कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सका।

गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) ने अपने घोषणापत्र में इन्हें नियमित करने और शिक्षकों के अनुसार ही वेतनमान देने का वादा किया था। कई महीनों की माथापच्ची के बाद अब सरकार ने बिहार की तर्ज पर इन्हें नियोजित करने तथा वेतनमान देने का निर्णय लिया है। इसे लेकर शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है।

पिछले दिनों हुई उच्च स्तरीय समिति की बैठक में बिहार की तर्ज पर तैयार की गई पारा शिक्षक सेवाशर्त नियमावली के ड्राफ्ट पर सहमति बन गई। नई नियमावली लागू होने के बाद पारा शिक्षक पंचायत सहायक अध्यापक और प्रखंड सहायक अध्यापक कहलाएंगे। नियमावली में पारा शिक्षकों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। स्नातक प्रशिक्षित व शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण पारा शिक्षक तथा स्नातक प्रशिक्षित व दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण पारा शिक्षक प्रखंड सहायक अध्यापक कहलाएंगे। इंटरमीडिएट व शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण पारा शिक्षक तथा इंटरमीडिएट व दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण पारा शिक्षक पंचायत सहायक अध्यापक कहलाएंगे। साथ ही शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण पारा शिक्षक सीधे स्थायी होंगे तथा उन्हें वेतनमान मिलेगा। पारा शिक्षकों को दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण होने के लिए तीन अवसर मिलेंगे। तीन अवसर मिलने के बाद भी यह परीक्षा उत्तीर्ण नहीं होने पर वे सेवा में नहीं रह सकेंगे।

प्रस्तावित नियमावली के अनुसार, पारा शिक्षकों को 5200-20200 रुपये का वेतनमान दिया जाएगा। साथ ही शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कक्षा एक से पांच के पारा शिक्षकों को 2400 तथा कक्षा छह से आठ के पारा शिक्षकों को 2800 ग्रेड पे दिया जाएगा। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष भी पारा शिक्षकों को स्थायी करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया था। जब यह प्रस्ताव विधि विभाग के पास गया तो विभाग ने कहा कि गैर टीईटी उत्तीर्ण पारा शिक्षकों को वेतनमान नहीं दिया जा सकता। पारा शिक्षकों को वेतनमान देने के लिए पद भी सृजित करने होंगे। इस बार नियमावली को लागू कराने में विभिन्न विभागों से स्वीकृति लेना आसान रहा, क्योंकि उच्चस्तरीय कमेटी में ही कार्मिक, वित्त विभाग के सचिव शामिल हैं। पारा शिक्षकों को स्थायी करने में दिक्कत न हो, इसके लिए सरकार 70 हजार शिक्षकों के पद सृजित करने जा रही है।

इधर, केंद्र सरकार भी राज्य सरकार से पारा शिक्षकों को समायोजित करने को कह रही है। समायोजित नहीं किए जाने के कारण केंद्र सरकार उतने पारा शिक्षकों के मानदेय की राशि केंद्र के अंश के रूप में नहीं देती है, जितने शिक्षकों के पद रिक्त हैं। केंद्र का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति नहीं किए जाने से ही ये पारा शिक्षक अभी भी कार्यरत हैं, जबकि राज्य सरकार द्वारा इन्हें पहले ही समायोजित कर लिया जाना चाहिए था।

[स्थानीय संपादक, झारखंड]

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