रांची. राज्य के अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों (Untrained
Para Teachers) को झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) से बड़ी राहत
मिली. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार (Jharkhand Govt) को झटका देते हुए
अप्रशिक्षित पारा शिक्षक को हटाने के आदेश पर रोक लगा दी. न्यायाधीश डॉ.
एसएन पाठक की अदालत ने इस सिलसिले में राज्य सरकार को 4 सप्ताह में जवाब
पेश करने को कहा है. राज्य सरकार ने 24 जून 2019 को अप्रशिक्षित पारा
शिक्षक को हटाने का आदेश जारी किया था.
याचिकाकर्ता समीर कुमार देव की याचिका पर गुरुवार को न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत में सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि सरकार इस सिलसिले में यथास्थिति बनाए रखे. और 4 सप्ताह में जवाब पेश करे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उन्हें प्रशिक्षित होने के लिए और मौका दिया जाना चाहिए. वे दूसरे परीक्षा भी दे रहे हैं. इसलिए सरकार उन्हें हटाए नहीं, उन्हें और मौका दे. वहीं सरकार के द्वारा अदालत को बताया गया कि राइट टू एजुकेशन एक्ट आने के बाद केंद्र सरकार के द्वारा यह प्रावधान बनाया गया है कि कोई भी शिक्षक प्रशिक्षित नहीं होना चाहिए. इसी प्रावधान के तहत राज्य सरकार ने 31 मार्च 2019 तक सभी अप्रशिक्षित पारा शिक्षक को प्रशिक्षण प्राप्त करने को कहा था. यह समयसीमा समाप्त होने के बाद सरकार ने वैसे पारा शिक्षकों, जिन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया, उन्हें हटाने का आदेश दिया है.
सरकार के इस आदेश को याचिकाकर्ता समीर कुमार देव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. बता दें कि राज्य के 4812 अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. शिक्षा विभाग के द्वारा जारी पत्र में एक जुलाई से प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने का आदेश दिया गया है. अगर एक जुलाई के बाद हटाए गए पारा शिक्षक स्कूल आते हैं तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित विद्यालय की प्रबंधन समिति की होगी.
याचिकाकर्ता समीर कुमार देव की याचिका पर गुरुवार को न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत में सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि सरकार इस सिलसिले में यथास्थिति बनाए रखे. और 4 सप्ताह में जवाब पेश करे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उन्हें प्रशिक्षित होने के लिए और मौका दिया जाना चाहिए. वे दूसरे परीक्षा भी दे रहे हैं. इसलिए सरकार उन्हें हटाए नहीं, उन्हें और मौका दे. वहीं सरकार के द्वारा अदालत को बताया गया कि राइट टू एजुकेशन एक्ट आने के बाद केंद्र सरकार के द्वारा यह प्रावधान बनाया गया है कि कोई भी शिक्षक प्रशिक्षित नहीं होना चाहिए. इसी प्रावधान के तहत राज्य सरकार ने 31 मार्च 2019 तक सभी अप्रशिक्षित पारा शिक्षक को प्रशिक्षण प्राप्त करने को कहा था. यह समयसीमा समाप्त होने के बाद सरकार ने वैसे पारा शिक्षकों, जिन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया, उन्हें हटाने का आदेश दिया है.
सरकार के इस आदेश को याचिकाकर्ता समीर कुमार देव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. बता दें कि राज्य के 4812 अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. शिक्षा विभाग के द्वारा जारी पत्र में एक जुलाई से प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने का आदेश दिया गया है. अगर एक जुलाई के बाद हटाए गए पारा शिक्षक स्कूल आते हैं तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित विद्यालय की प्रबंधन समिति की होगी.
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