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16 से राज्य के सभी 40 हजार प्राथमिक स्कूलों में ताला जड़ेंगे पारा शिक्षक

रांची.  एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के शिष्टमंडल का गुरुवार को मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी से हुई वार्ता विफल हो गई। मुख्य सचिव ने उच्च स्तरीय समिति की अनुशंसाओं के बारे में बताया, जिसे पारा शिक्षकों ने
अमान्य कर दिया। बैठक में ही पारा शिक्षक नेता संजय दुबे ने कहा कि हम इन अनुशंसाओं से असहमत हैं। हमें छत्तीसगढ़ की तर्ज पर स्थाई करते हुए वेतनमान देने की घोषणा करें या फिर हम सभी 70 हजार पारा शिक्षकों को बर्खास्त कर दें।

स्कूलों में तालाबंदी करने का निर्णय लिया
उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव ने एक-एककर सभी अनुशंसाओं की जानकारी दी, जिसे पारा शिक्षकों के आठ सदस्यीय शिष्टमंडल ने एक स्वर से खारिज कर दिया और बैठक से निकल गए। बाद में इन सबने कोर कमेटी की बैठक की और स्कूलों में तालाबंदी करने का निर्णय लिया। कोर कमेटी के निर्णयों की जानकारी देते हुए ऋषिकेष पाठक ने बताया कि 16 नवंबर से राज्य के सभी 40 हजार प्राथमिक स्कूलों में ताला जड़ेंगे। एक भी स्कूल नहीं खुलेगा।

पारा शिक्षक रांची के मोरहाबादी मैदान में आएंगे
मोर्चा के संजय दुबे और संटू सिंह ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस के मौके पर 15 नवंबर को पारा शिक्षक रांची के मोरहाबादी मैदान में आएंगे। अगर मुख्यमंत्री रघुवर दास पारा शिक्षकों को स्थाई करने की घोषणा करेंगे तो सारे शिक्षक उनकी जय-जयकार और जिंदाबाद करेंगे, नहीं तो काला झंडा दिखाते हुए मुर्दाबाद के नारे लगाएंगे। अगले दिन 16 नवंबर से राज्य के सभी स्कूलों में ताला लगा देंगे। यह तालाबंदी तब-तक चलेगी, जब तक कि हमें स्थाई करने की घोषणा नहीं हो जाती। वार्ता में मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अपर मुख्य सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह, झारखंड शिक्षा परियोजना के राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह, शिक्षा परियोजना के प्रशासी पदाधिकारी जयंत मिश्र के अलावा एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के ऋषिकेष पाठक, संजय दुबे, सिंटू सिंह, विनोद बिहारी महतो, बजरंग प्रसाद, नरोत्तम सिंह मुंडा, दशरथ ठाकुर और मोहन मंडल थे।

उठाए सवाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड दोनों में भाजपा सरकार फिर दो नियम क्यों
पारा शिक्षकों ने कहा कि छत्तीसगढ़ और झारखंड दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार है, फिर इन दोनों राज्यों में पारा शिक्षकों के लिए अलग-अलग नियम क्यों है। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार जब वहां के पारा शिक्षकों को स्थाई कर सकती है, तो फिर झारखंड सरकार ऐसा क्यों नहीं कर रही है। छत्तीसगढ़ सरकार भी नियमों के आधार पर ही चल रही है, फिर वह नियम झारखंड में लागू करने में क्यों दिक्कत आ रही है।


राज्य परियोजना निदेशक पर फोड़ा ठिकरा
पारा शिक्षकों ने वार्ता विफल होने का ठिकरा झारखंड शिक्षा परियोजना के राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय समिति का गठन राह निकालने के लिए हुआ, पर उमाशंकर सिंह के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है।

शिक्षा अधिकारियों ने वार्ता में दी जानकारी
-पारा शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि करने पर हो रहा है विचार। कितना प्रतिशत बढ़ेगा अभी यह तय नहीं किया जा सका है।
-जेटेट की अवधि पांच वर्ष से बढ़ा कर सात वर्ष करने के लिए नियमावली में बदलाव का प्रस्ताव। कैबिनेट को भेजने के लिए तैयार हो रहा संलेख।
-कल्याण कोष के गठन के लिए लिया जा चुका है नीतिगत निर्णय। क्रियान्वयन के लिए नियमावली बनाई जा रही है।
-कल्याण कोष में 10 करोड़ रुपए जमा करने के लिए तैयार हो रहा है संलेख। कैबिनेट की स्वीकृति के बाद कल्याण कोष गठित हो जाएगा।
-60 वर्ष तक की उम्र तक काम करने संबंधी सेवा पत्र राज्य परियोजना कार्यालय से निर्गत किया जा चुका है।

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