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मांगों पर विचार के लिए उच्चस्तरीय कमेटी, 60 दिन में आयेगी रिपोर्ट, पारा टीचर्स का आंदोलन जारी

छह सूत्री मांगों के समर्थन में आंदोलन कर रहे पारा शिक्षकों की वार्ता मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी से समाप्त हो गयी है. मुख्य सचिव ने उच्चस्तरीय समिति के गठन का आश्वासान दिया है. 
यह समिति अन्य राज्यों में पारा शिक्षकों की नीति का जायजा लेगी. उसके बाद पारा टीचर्स के मांगों पर निर्णय लेगी. इस बीच मुख्य सचिव के इस आश्वासन के बाद पारा शिक्षकों ने कहा कि विभागीय पत्र मिलने के बाद पारा शिक्षक आगे की रणनीति तय करेंगे.

गौरतलब है कि प्रमंडलों से छह दिन की पदयात्रा कर रांची पहुंचे पारा शिक्षकों को मोरहाबादी स्थितदादा दादी पार्क में रोक दिया गया था.  दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री आवास की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गयी थी. मोरहाबादी में वज्रवाहन के साथ-साथ घुड़सवार भी तैनात किये गये थे.



बता दें कि पारा टीचर्स अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन कर रहे हैं और सोमवार को कांके स्थित मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की योजना से रांची पहुंचे हैं. ये लोग समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर रहे हैं.

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इसके अलावा इनकी कुछ और भी मांगें हैं. पारा शिक्षकों का कहना है कि जब भी ये आंदोलन करते हैं, उन्हें आश्वासन की घुट्टी पिला दी जाती है और बाद में सरकार उनकी मांगों पर गौर नहीं करती. इसलिए इस बार अपनी मांगें मनवाकर ही वे दम लेंगे. इस बार सभी मांगें मान लिये जाने के बाद ही वे अपना आंदोलन समाप्त करेंगे.



इनकी मुख्य मांगों में समान काम के लिए समान वेतन, विद्यालयों के विलय की प्रक्रिया पर रोक, पारा शिक्षक कल्याण कोष का गठन, टेट पास पारा शिक्षकों को स्थायी शिक्षक के रूप में सीधी नियुक्ति और प्रशिक्षण के समय ली गयी राशि वापस करना शामिल है.

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मुख्य सचिव के साथ पारा शिक्षकों की रविवार को बैठक होनी थी, लेकिन उसमें शिक्षकों का कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा. अब सोमवार को तीन बजे दोनों पक्षों के बीच बैठक होगी, जिसमें उनकी समस्या का निदान करने पर विचार-विमर्श किया जायेगा.



आंदोलन कर रहे शिक्षकों ने कहा कि उन्हें बार-बार आंदोलन करना अच्छा नहीं लगता. शिक्षक का काम बच्चों को शिक्षा देना है. देश का भविष्य गढ़ना है. उन्हें सड़क पर उतरकर नारेबाजी करना पसंद नहीं. लेकिन, मजबूर हैं. सरकार उन्हें मजबूर करती है कि वे अपने हक की आवाज बुलंद करने के लिए सड़कों पर उतरें. दूर-दराज के जिलों से उन्हें रांची आना पड़ता है. अपना घर परिवार छोड़कर. परेशानी तो होती ही है, खर्च भी होता है.



शिक्षकों ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता कहते थे कि केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार बनेगी, तो उनकी समस्याओं का निदान हो जायेगा. अब केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार है. फिर भी उनकी बातें नहीं सुनी जा रहीं. उनकी जायज मांगों पर भी विचार नहीं किया जा रहा.

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