हजारीबाग : विभावि के कुल 3430 शिक्षक पद व लगभग 500 शिक्षकेतरों ने
पदों के सृजन की मांग राज्य सरकार से की है। उक्त प्रस्ताव पर अंतिम फैसले
की गुंजाइश शुक्रवार को बन रही है। शुक्रवार को मानव संसाधन मंत्रालय के
साथ वार्ता के लिए कुलपति स्वयं अपने पदाधिकारियों के साथ शिरकत करेंगे।
इस संदर्भ में प्राप्त खबर के मुताबिक विभावि के खाते में फिलवक्त 861 सृजित पद हैं, जिसमें 349 रिक्त हैं और 541 पदों पर शिक्षक कार्यरत हैं। कुल तीन मॉडल महिला कॉलेजों के 399 शिक्षक व 252 शिक्षकेतर पदों के नवसृजन का प्रस्ताव है। इसी प्रकार स्ववित्त पोषित पीजी पाठ्यक्रमों के लिए 56 शिक्षक, 45 तृतीय वर्गीय व 33 चतुर्थ वर्गीय पदों के सृजन का प्रस्ताव है। वहीं पारंपरिक स्नातकोत्तर विभागों के लिए कुल 111 शिक्षक पदों के सृजन का प्रस्ताव है। वहीं 57 तृतीय पदों के सृजन का प्रस्ताव है। फिलवक्त वहां 38 चतुर्थ वर्गीय पद सृजित हैं। वहीं पीजी में कुल 68 शिक्षकेतर पद हैं, जबकि अतिरिक्त 10 पदों के सृजन का प्रस्ताव है। वहीं विभावि सचिवालय के लिए कुल 132 पदों का प्रस्ताव है, जिनमें अधिकारियों के अलावा 69 शिक्षकेतर पद शामिल हैं। फिलवक्त यहां 69 शिक्षकेतर पद मौजूद हैं।
एकीकृत बिहार में हुआ था पद सृजन
वर्ष 1967 में रांची विश्वविद्यालय के तहत मात्र संत कोलंबा कॉलेज के लिए शिक्षक-शिक्षकेतर पदों का सृजन हुआ था। झारखंड गठन के बाद विभावि के किसी भी शिक्षण संस्थान को एक भी नया पद नहीं मिला है।
इस संदर्भ में प्राप्त खबर के मुताबिक विभावि के खाते में फिलवक्त 861 सृजित पद हैं, जिसमें 349 रिक्त हैं और 541 पदों पर शिक्षक कार्यरत हैं। कुल तीन मॉडल महिला कॉलेजों के 399 शिक्षक व 252 शिक्षकेतर पदों के नवसृजन का प्रस्ताव है। इसी प्रकार स्ववित्त पोषित पीजी पाठ्यक्रमों के लिए 56 शिक्षक, 45 तृतीय वर्गीय व 33 चतुर्थ वर्गीय पदों के सृजन का प्रस्ताव है। वहीं पारंपरिक स्नातकोत्तर विभागों के लिए कुल 111 शिक्षक पदों के सृजन का प्रस्ताव है। वहीं 57 तृतीय पदों के सृजन का प्रस्ताव है। फिलवक्त वहां 38 चतुर्थ वर्गीय पद सृजित हैं। वहीं पीजी में कुल 68 शिक्षकेतर पद हैं, जबकि अतिरिक्त 10 पदों के सृजन का प्रस्ताव है। वहीं विभावि सचिवालय के लिए कुल 132 पदों का प्रस्ताव है, जिनमें अधिकारियों के अलावा 69 शिक्षकेतर पद शामिल हैं। फिलवक्त यहां 69 शिक्षकेतर पद मौजूद हैं।
एकीकृत बिहार में हुआ था पद सृजन
वर्ष 1967 में रांची विश्वविद्यालय के तहत मात्र संत कोलंबा कॉलेज के लिए शिक्षक-शिक्षकेतर पदों का सृजन हुआ था। झारखंड गठन के बाद विभावि के किसी भी शिक्षण संस्थान को एक भी नया पद नहीं मिला है।
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