पंकज त्रिपाठी/नितिन चौधरी |रांची समाजविज्ञान के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए क्वालीफिकेशन स्पष्ट नहीं
होने पर झारखंड हाईकोर्ट ने 17 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक
लगा दी है। जस्टिस एस चंद्रशेखर ने सोमवार को सरकार से पूछा कि समाज
विज्ञान विषय के शिक्षक के लिए आवेदन करने की न्यूनतम योग्यता क्या है?
समाज विज्ञान विषय में कौन-कौन से विषय आते हैं।
विज्ञापन में क्या शर्तें लिखी गई थीं। सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं दिए जाने पर कोर्ट ने पूछा सरकार क्यों नहीं इस विज्ञापन को ही वापस ले लेती है। गलती हुई है, तो क्यों नहीं संबंधित अफसरों को दंडित किया जाए। बाद में सरकार द्वारा दलीलें दी गईं, तो कोर्ट ने कहा- ठीक है आप पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की तहत 31 मार्च तक आवेदन लें, पर इसके बाद की प्रक्रिया पर रोक लगी रहेगी। 13 अप्रैल को आपका जवाब देखने के बाद कोर्ट उचित निर्णय लेगा।
शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन में गड़बड़ी संबंधी दायर याचिका में बताया गया है कि विज्ञापन में नियुक्ति नियमावली की अनदेखी की गई है। नियमावली के अनुसार, जिस विषय के शिक्षक की नियुक्ति होनी है, उसे उस विषय में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होना चाहिए, पर यहां दो-दो विषयों में 45 प्रतिशत की बाध्यता कर दी गई। इसका विरोध हुआ, तो दुबारा विज्ञापन निकाला गया और किसी एक विषय में ही 45 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता की गई। पर दोनों विषय होने की अनिवार्यता समाप्त नहीं की गई। अभी समाज विज्ञान के लिए आवेदन वही कर सकता है, जिसने स्नातक स्तर पर इतिहास और पॉलिटिकल साइंस दोनों पढ़ा हो।
छात्रों को आवेदन करने का एक और मौका संभव
झारखंडहाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक तो लगा दी है, पर आवेदकों को आवेदन के लिए समय सीमा का कोई लाभ नहीं मिला है। पर, अब संभव है कि सरकार कोर्ट को जवाब देने के क्रम में विज्ञापन में कुछ सुधार करे और छात्रों को आवेदन करने का नए सिरे से मौका दे। दरअसल राजस्वकर्मियों के एक महीने की हड़ताल के कारण राज्य में रेसीडेंशियल सर्टिफिकेट बनाने का काम ठप रहा था। इस कारण लोग आवेदन नहीं कर पा रहे थे। हड़ताल समाप्त होने के बाद रेसीडेंशियल बनना शुरू हुआ, पर एक लाख से अधिक आवेदन लंबित हैं। एक बार पहले भी आवेदन जमा करने की तिथि बढ़ा कर 31 मार्च तक की गई थी। एइस बीच सरकार के स्तर पर इसकी समीक्षा हो रही थी कि रेसीडेंशियल नहीं बनने के कारण कोई छात्र आवेदन करने से वंचित नहीं हो, इसलिए आवेदन करने की तिथि एक बार फिर बढ़ा दी जाए।
विज्ञापन में क्या शर्तें लिखी गई थीं। सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं दिए जाने पर कोर्ट ने पूछा सरकार क्यों नहीं इस विज्ञापन को ही वापस ले लेती है। गलती हुई है, तो क्यों नहीं संबंधित अफसरों को दंडित किया जाए। बाद में सरकार द्वारा दलीलें दी गईं, तो कोर्ट ने कहा- ठीक है आप पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की तहत 31 मार्च तक आवेदन लें, पर इसके बाद की प्रक्रिया पर रोक लगी रहेगी। 13 अप्रैल को आपका जवाब देखने के बाद कोर्ट उचित निर्णय लेगा।
शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन में गड़बड़ी संबंधी दायर याचिका में बताया गया है कि विज्ञापन में नियुक्ति नियमावली की अनदेखी की गई है। नियमावली के अनुसार, जिस विषय के शिक्षक की नियुक्ति होनी है, उसे उस विषय में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होना चाहिए, पर यहां दो-दो विषयों में 45 प्रतिशत की बाध्यता कर दी गई। इसका विरोध हुआ, तो दुबारा विज्ञापन निकाला गया और किसी एक विषय में ही 45 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता की गई। पर दोनों विषय होने की अनिवार्यता समाप्त नहीं की गई। अभी समाज विज्ञान के लिए आवेदन वही कर सकता है, जिसने स्नातक स्तर पर इतिहास और पॉलिटिकल साइंस दोनों पढ़ा हो।
छात्रों को आवेदन करने का एक और मौका संभव
झारखंडहाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक तो लगा दी है, पर आवेदकों को आवेदन के लिए समय सीमा का कोई लाभ नहीं मिला है। पर, अब संभव है कि सरकार कोर्ट को जवाब देने के क्रम में विज्ञापन में कुछ सुधार करे और छात्रों को आवेदन करने का नए सिरे से मौका दे। दरअसल राजस्वकर्मियों के एक महीने की हड़ताल के कारण राज्य में रेसीडेंशियल सर्टिफिकेट बनाने का काम ठप रहा था। इस कारण लोग आवेदन नहीं कर पा रहे थे। हड़ताल समाप्त होने के बाद रेसीडेंशियल बनना शुरू हुआ, पर एक लाख से अधिक आवेदन लंबित हैं। एक बार पहले भी आवेदन जमा करने की तिथि बढ़ा कर 31 मार्च तक की गई थी। एइस बीच सरकार के स्तर पर इसकी समीक्षा हो रही थी कि रेसीडेंशियल नहीं बनने के कारण कोई छात्र आवेदन करने से वंचित नहीं हो, इसलिए आवेदन करने की तिथि एक बार फिर बढ़ा दी जाए।
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